भारत के तीन वीर | Bharat Ke Teen Veer
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
146
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
यशपाल शर्मा - Yashpal Sharma
No Information available about यशपाल शर्मा - Yashpal Sharma
योगेन्द्र शर्मा - Yogendra Sharma
No Information available about योगेन्द्र शर्मा - Yogendra Sharma
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१५
महाराणा प्रताप के सब वीरो ने उनके साथ प्रतिज्ञा की
कि उनके बदन मे जब तक एक भी बृद रक्त की रहेंगी तब
तक वे मातुभूमि क स्वतन्नता के लिए सघर्ष करते रहेंगे और
जो भी प्रतिज्ञाएं महाराणा ने की है उन सबकोग्रपने जीवन
में घटाए'गे | |
सामतो की प्रतिज्ञा सुनकर महाराणा प्रताप को ग्रात्म-
सतोष हुञ्रा। उन्होंने शांति की सास ली श्रौर मातृभूमि को
स्वतंत्र करने के संघर्ष मे जुट गए। उन्होने युद्ध की तयारी
आरम्भ कर दी।
महा राणा प्रताप ने अपनी इस प्रतिज्ञा का श्राजीवन पालन
किया | उस दिन के परचात् उन्होंने कभी महल मे निवास
नही किया, पलग पर नही सोये और चाँदी-सोने के बतेनो मे
भोजन नही किया ।
महाराणा प्रताप ने उदयपुर के राजमहलो का परित्याग
कर उदय सागर फील के निकट एक कुटिया बनवाक्र उसमे
रहना भ्रारम्भ किया |
महाराणा प्रताप को झ्कबर के उदयपुर पर आक्रमण करने
का भय থা । इसलिए आपने उदयपुर निवासियो को नगर खाली
User Reviews
No Reviews | Add Yours...