राजनीतिक अर्थशास्त्र के मूल सिद्धान्त | Rajanitik Arth Shastr Ke Mul Sidhaant
श्रेणी : राजनीति / Politics
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6.84 MB
कुल पष्ठ :
386
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)शुराने सड-गड़े उत्पादन सम्बंध उत्पादक झक्तियों के विकास के माग में डालते हूं । उनको बदलने के लिए एक ऐसी सामाजिक शक्ति कौ जरूरत है जो मनुष्य द्वारा मनुष्य के शोषण को खत्म वरे । पूजीवारी समाज में मजदूर वग ऐस ही एव शक्ति है । अपन मित्र विसानों दे साथ मजदूर बग शोषण को समाप्त वरने के लिए है । सिफ समाजवादी समाज मे हो जहा दोई परस्पर विरोधी वग नहीं होते उत्पादन के सम्बंध सामाजिक फ्रान्ति के द्वारा नहीं वल्कि उत्पादव रावितियों वे विकास के अनुकूल उनको नियोजित ढंग से परिवर्तित करने से होते हैं । उत्पादन पद्धति को समाज के आधार से अलग बरके देखना चाहिए । किसी भी समाज में उत्पादक शक्तियों के तत्कालीन स्तर के अनुकूल उत्पादन सम्वघा वा कुछ योग ही आधार कहा जाता है। ममाज का या तो विग्रहपूण या अविग्रहपूण होता है। दाम सामन्तवादी और पूजीवादी समाज स्वभावत मौलिक रूप से विप्रहपूण हाते हैं बयाकि वे उत्पादन वे साधनों के निजी स्वामिव आधिपत्य तथा अधीनता और मनुष्य का मनुष्य द्वारा शोपण पर आधारित होते हैं। समाजवादी समाज अविग्रहपूण होता है वयावि बहू की अनुपस्थिति मे उत्पादन के साधनों के सामाजिक स्वामित्व पर आधारित होता है। आधार अपन अनुकूल ही ऊपरी ढाचे को जम दता है और इसके विकास को निर्घारित बरता है । ऊपरी ढाचे का मतलब समाज के राजनीतिक दाश्निक याधिक बलात्मक घार्मिक तथा अय विचारी एवं उनके अनुरूप सस्यात से है । वग समाज मे ऊपरी ढाचे का भी एक वग चरित्र होता है । ासक ढंग अपने विद्ारों के अनुरूप अपने दए स्वायों वी रक्षा के लिए सस्थाओं का निर्माण करता है । आधार भर ऊपरी ढाचा दोनों एक निश्चित अवधि तक ही मौनूद रहते हैं । जब आधार बदलता है तो उसका ऊपरी ढाचा भी बदलता है । अत सामन्तवादी भाधार् में परिवतन भर उसक॑ स्थान पर पूजीवाद के आगमन के परिणामस्वरूप सामतवादी कूपरी ढाचे वा स्थान पूजीवादी ऊपरी ढाचे ने के लिया । समाजवादी आधार के उदय के साथ समाजवाद के ऊपरी ढाचे वा हुआ भर उसने पूजीवाही ऊपरी ढाचे को विनप्ट कर दिया । यद्यपि ऊपरी ढाथे को पूण रुप म आधार ही जम देता है तथापि पुराने समाज में नय ऊपरी के विभिन तत्व उदित हो सफत हैं क्योकि पुराने समाज म ही खननत वग के विचार और दप्टिकोण जम ले लेते हैं। उदाहरण के तौर पर श्शु
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