शास्त्र रहस्य प्रथम भाग | Shastr Rahsye Pratham Bhag
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4.25 MB
कुल पष्ठ :
184
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)शूदाश्रम । श्र. हदर्प क्रोघ को वश में रखने चाला सदाश्रमा शिलापी पुरुष शुरु से अच्भु्ता पाकर स्रान कर हे असमान प्रचर चाछो. कुमारी आयु में छोटी अपने चर्ण को कन्या विचाहे। १। जो माता के यन्घुओं की ओर से पांचवीं और पितृवन्धुओं की ओर से सातवीं दो उस से चरली पीढ़ी की न हो ॥ इसमें प्रवर भीर छोड़ने लिखे हैं भर -विष्ण पुराण की नाई माठपक्ष से चौथी और पितृपक्ष से पांचवीं पीढ़ी तक छोड़ना लिखा है-- असमानप्रवर।वंवाह । ऊर्प्वसप्तमात् पितृबन्धुम्यो बीजिनश्र मातृब- न्खुभ्य पश्चमात् ॥ गीतर घर हाषा९-३ 2 .. समान प्रचर वालों के साथ चिचाइ नहीं होता | २ । पिंतु चन्घुओं से और चोजी से सातत्र के थनन्तर और मातृ यन्धुभों से पांचवें के अनन्तर घिवाद होना चाहिये योजी से अभिप्ाय नियुक्त पुरुप है । इस में भी प्रवर का निषेध है गोत्र का नहीं । तथा पिता षी सात पीढ़ी भौर माता की और से पांच पीढ़ी चजित की हैं ॥ परम के अनुलार गोचर का निपेध है प्रचर का नहीं । जैसे-- असपिण्डा च या मातुरसगोत्रा च या परितुः । सा प्रदस्ता द्विजारतानां दारक्मणि मैथुन ॥ मजुर दे1५ तो माता को ओर से सपिणडा न हो और पिता की
User Reviews
No Reviews | Add Yours...