पाकिस्तान | Pakistan
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10.69 MB
कुल पष्ठ :
167
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)श्६ पाकिस्तान पीरबरुदा--अच्छा जाने दीजिए कुदरती सरहद्दों की बात । एक मुल्क वह है जिसमें एक क़ौम रहती हो । श्रसरनाथ--और एक क्ौम के क्या लक्षण हू ? पीरबछ्दा--एक क़ौम वह है जिसका एक मजहब हो जिसकी एक ज़बान हो श्रौर जिसकी एक तहज़ीब हो। क्ौम की तारीफ़ तो माहिर तय कर चुके हे झमरनाथ--एक मत से क्यों ? पीरबरुदा--एक मत से न सही तो कसरतराय से । श्रमरनाथ--एक तो कसरतराय क्या है यह कहना भी कठिन है दूसरे विद्वेषज्ञों के मामले में कसरतराय की क़ीमत भी बहुत श्रधिक नहीं है । पीरबढ़ुश--फिर काहे की क़ीमत है ? हम मुसलमानों में तो हर बात में कसरतराय की ही सबसे बड़ी कीमत होती है। इस्लाम से ज्यादा जमहूरी श्रौर कोई मज़हब दुनिया के परदे पर नहीं । जमहूरियत मे कसरतराय के सामने किस चीज की क्ीमत है ? माहिरों की कसरतराय ने क़ौम की जो तारीफ़ तय की है हम मुसलमान उसी को मानते हैं श्रौरै उस तारीफ़ के मुताबिक़ इस सल्क में दो कीमें रहती ह--हिन्द्ू श्रौर मुसलमान । दुर्गा--सरवथा भ्रमपूर्ण युक्ति कल तक तो इनमे से सिस्यानवे प्रतिद्वत मुसलमान हिन्द थे और झ्राज इनका श्रलग राष्ट्र हो गया । भ्रसरनाथ--एक तो जैसा मेने कहा कि क्रौम के लक्षणों की व्याख्या में भी विशेषज्ञों की एक राय नही दूसरे जो तारीफ़ श्रापने श्रभी बतायी गर जिसे आजकल कुछ मुसलमान भाई मानने लगे है उसके मुताबिक भी यह सिद्ध नहीं होता कि मुसलमान श्रौर हिन्दू दो राष्ट्र हैं । पीरबर्शा--यहू सिध नही होता ? प्रमरनाथ--जी नहीं देखिए जहाँ तक मज़हब का ताल्लुक़ है वहाँ तक तो एक ही धर्म को मानने वाली दो या अधिक क़ौमें हो सकती है ।
User Reviews
No Reviews | Add Yours...