अर्थशास्त्र शब्द-कोष | Arthshaastra Shabd-kosh

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Arthshaastra Shabd-kosh by आचार्य रघुवीर - Aachary Raghuvir

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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श्द् बदि संबीय की सफल स्थापना पर यथेटट विचार न हुआ तो वे मूढत कच्चे और अधूरे होंगे। इस प्रकार हमारें सामने जो प्रश्न है वह निश्चित है । अर्वात्‌ राष्ट्र निम की व्यापक इष्टि से हमारी शाब्दावढि में ऐक्य स्थापन की प्रकृतिस्थ राक्ति और क्षमता हो । यदि ऐसा न ढूआ तो उच्च शिक्षण में राजमतिक हिन्दुस्थानी की खिंचड़ी अथवा अन्तरोष्ट्रीय शब्दों का भ्रामक उद्घोष आन नहीं तो कल हमारे लिए एक मयंकर अभिशाप सिद्ध होगा । भाषा विषयक संस्कृति से विन होकर न भारतीय एकता ही दृढ़ होगी और न संघीय विश्व- विद्यालय का संस्यापन ही । इसछिए हमें अपने विद्यार्वियों के लिए विशेषकर आनेवाढी विद्यार्थी पीढ़ियों के छिए एक इृढ़तम मागे आज और अभी निश्चित करना है जिसपर चलना उनके छिंए सहज स्वाभाविक और सर हो। और यह हो सारे भारतीय विद्यार्थियों के लिए । हमारे संस्कृत आधारित दाब्दकोप में इसका सम्यक ध्यान है। जो लोग उत्तर और दक्षिण की भाषाओं में संस्कृत के समान दाब्दों द्वारा ऐसे ऐक्य के सुन्दर भावी स्वरूप को नहीं पह़िचानते उनके छिए यहां निश्न तालिका दें देना ठीक होगा --




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