रेणु | Renu
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6.12 MB
कुल पष्ठ :
226
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
जन्म:-
20 सितंबर 1911, आँवल खेड़ा , आगरा, संयुक्त प्रांत, ब्रिटिश भारत (वर्तमान उत्तर प्रदेश, भारत)
मृत्यु :-
2 जून 1990 (आयु 78 वर्ष) , हरिद्वार, भारत
अन्य नाम :-
श्री राम मत, गुरुदेव, वेदमूर्ति, आचार्य, युग ऋषि, तपोनिष्ठ, गुरुजी
आचार्य श्रीराम शर्मा जी को अखिल विश्व गायत्री परिवार (AWGP) के संस्थापक और संरक्षक के रूप में जाना जाता है |
गृहनगर :- आंवल खेड़ा , आगरा, उत्तर प्रदेश, भारत
पत्नी :- भगवती देवी शर्मा
श्रीराम शर्मा (20 सितंबर 1911– 2 जून 1990) एक समाज सुधारक, एक दार्शनिक, और "ऑल वर्ल्ड गायत्री परिवार" के संस्थापक थे, जिसका मुख्यालय शांतिकुंज, हरिद्वार, भारत में है। उन्हें गायत्री प
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)श्प्र पिता श्रौर - पुत्र का दृष्टिकोण एक था । जगपाल पिता से श्रधिक चतुर भ्ौर कुटिल था । जिस रेणुका नाम की युवती को उसने कुएँ पर देखा वह दूसरे दिन ही उसके घर पहुँच गया । यद्यपि गाँव के जमींदार के पुत्र का उस घर पर पहुँचना अचरज का विषय था परन्तु वहाँ जाते ही जिस बात को प्रगट किया उससे यह नहीं समभा गया कि उसका जाना श्रप्रत्याशित था । जगपाल ने रेणका के पिता को लक्ष्य किया श्रौर कहा--छाकुर तुमने पिता से एक खेत लेने की बात बह्दी थी सो झाब चाहो तो उसका सौदा हो जायेगा । बोलो क्या उस विचार को अब्र भी कासेंरूप दिया जा सकेगा । उसी समय रेणूका की माँ भी वहाँ प्रा. गयी । जगपाल ने उसे देखते ही कहा राम-राम चाची चाची से कहा जीते रहो बेठा बड़ी उम्र हो । सुनकर जगपाल हँसा चाची साजतल श्धिक उम्र पाता शोभा की बाते नहीं । जहदी मरना ही श्रच्छा हैं । देखती हो न बाजार में थीज महंगी मिलती है म्रौर फम टिकाऊ भी । ग्राहक जल्दी उस वस्तु का खरीदार बने यहीं श्राज का उद्योगपति चाहता है। सो ऐसे ही परमाह्गा + रेणका के पिता ने कहा--सचसुच हाल बुरा है। झभी एके महीना गूजरा कि यह धोपी का जोड़ा लाया थी कि अभी से फट बला । पह्निले से दाम भी इूने देकर श्रायथा । जगपाल हुँसा-+चाना जी दाहर वाले सोचते हैं वि गाँव के किसान मालामाल हो गये हैं । एक के दस बनाते हैं । द किन्तु रेगुका का पिता हँसा नहीं बहू गम्भीर होवार बोला एक के दरा दाहूर चाले बनाते हैं हम नहीं । मैंने जिस भाव में गेहूँ बेचा था उसी का श्रब दूगना हो गया है । हमें लगता है कि व्यापारी और सरकार दोनों से हम लोगों को ठंगना शुरू किया है ।
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