गृहस्थांजलि | Grahsthanjali
श्रेणी : कृषि, तकनीक व कंप्यूटर / Computer - Technology
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
74
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)44. च
यदि पति कृपण तो वह उदार यदि परति घर फकने वाला हो तो उसे मित
व्ययी बनना पड़ता है । श्रौर यदि प्रति गऊ, श्र्थात् बेहद सीधा तो वह व्यं
और नोकरों पर अनुशासन रखने वाली तेजस्विनी रानी और यदि पति
गम्भीर समझदार और देख रेख करने वाला स्वामी तो बह पति परगयण॒
पत्नी बन जाती ই।
प्रत्येक कन्या को भली प्रकार समभ लेना चाहिये कि उसका जीवन
अत्यन्त महत्व पूर्ण है। उसकी कम भूमि उन सब स्थानों में है जहाँ कोई
अभाव, कमी ओर कुरुण्ता हैं |
नारी समाज के समस्त अ्रभावों को पूरा करने बाली वह श्रमृतमयी
शक्ति है जिसे यदि जीवन के किसी पहलू में लगा दिया जाय तो उसे वह
चमका देती है ।
नारी को वह पारस पत्थर बनना चाहिये जिसके छूने से सभी वस्तुं सुख
और चेतना से परिपूर्ण हो उठे ।
नारी की कर्मभूमि बढ़ी विस्तृत है। उसे घर, समाज ओर राष्ट्र सभी
के प्रति अ्रपने कत्त व्यों का पालन समुचित रूप से करना पड़ता है। घर,
बाहर सभी स्थानों में जहाँ कोई कमी अभाव या सड्डूठ हों वहीं उसकी
-कम भूमि हे ।
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পপ উপ ~
पाठ ५
भोजन ओर स्वास्थ्य
जीवित रहने के लिये हम स्वास्थ्यवधकं भोजन की अत्यधिक
स्वावश्यकता होती है। भोजन का जीवन में सबसे अधिक महत्व है। यही
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