किसानों की कामधेनु | Kisanon Ki Kamadhenu

Kisanon Ki Kamadhenu by दुलारेलाल भार्गव - Dularelal Bhargav

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१२ किसानोँकी कामधन नहीं मिलता । अब अपनी भूलकों सधारों, और गो-वंशको उसके हिस्सेकी धरती दे दो । उसमें उनके लिये दाना-चारा पंदा करो, और उनका उसे उपभोग करने दो । सबसे सीधा ओर सरल उपाय ता यह है किं तुम्हार प्त जितनी घरती हो, उसे बराबर तीन भागोंमे बाँट डाला । एक मागमे उन क्रौमती चीर्जोको बोया करो. जिनका मांग हा । उनकी उपजको वेचकर्‌ अपनी धरतीका लगान दरिया करो, श्र साहूकाराको जो देना हो, बह अदा करो । दूसरे हिस्से उन चीजोका बोधा करो, जिनकी त॒म्हे श्रपने घरके कामम आवश्यकता पड़ती हो । घरकी উর্লা पदा की हुई चौजे शद्ध और सस्ती हुआ करती हैं। तीसरे हिस्से में अपनी गडओं और बेलाक लिये दाना-चारा पंदा किया करों | ऐसा करनेसे तम्हारे गो-बंशका प्रा-पूरा चारा-दाना सस्ते मिला करेगा । गो-वंशके हक़की जमीनमे अभी तम गेहूँ, নাজ, संनरा ओर अलसी-जेसी क्रौमनी फसल पैदा करके जो समक हो कि तम बहुत घन पेढा करके मालामाल हो रहे हो, यह तुम्हारा समझना कोग श्रम ही &: क्योंकि मो-वंशका उचित पालन न हानकं कारण धरतीर्का उचित सेवा त॒म नहीं कर सकते | उसका व्रा नतीजा यह हा गया और हो रहा है कि तम्हारे खेतोंकी उपजाऊ शक्ति नष्ट हो गई है. और




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