अंगुत्तर - निकाय भाग - 2 | Anguttar Nikay Bhag - 2

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Anguttar Nikay Bhag - 2  by भदन्त आनन्द कौसल्यायन - Bhadant Aanand Kausalyaayan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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विनीत, विशारंद, बहुश्रुत, धर्मंधर, धर्मान मी दारदी ` धर्मानुसार आचरण करनेवाला . शोभा बढ़ानेवाला होता है। भिक्षुभो, जो उपासिकीं धर्मानुसार आचरण करनेवाली होती हं वह संघकी शोभां धरधर होता संघको शोभा




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