सत्य हरिश्चंद्र | Satya Harishchandra
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
286
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)उपक्रम
जमती ष्योनि प्रसण्ड निने पुढ सत्य षी पत्र
मभ सकषमी सौमाम्म सुख रहने पनि वत्र ।
भ्राज सत्मकी महिमा का मशु गान পাল াযা
प्रनतस्णस से अण्म-बग्म कं पाप घुलने प्रामा [।
प्रलिल बिश्य में एक सत्य ही जीवन उध्च बनाता है,
बिना सत्य के जप, ठप योगांत्रार अ्रष्ट हो लाता है।
बीर प्रसू का-प्रएम स्पाकरण प्रद्भ पूण्र में है कहना
सत्य स्मयं मगबान श्यी की प्राज्ञा मे निधि-दिन रुणा ।
पह पृष्बी प्राकापा और यह रषि शुचि ताषमण़्ल भी
एक सत्प पर भाषारित हैं ुम्म महोदभि 'बंचस भी!
जो शर प्रपने मुख से बाणौ बोल पुन हट जाते है,
शएसब पाकर पछ्तु से मीये जीबन नौच बितादे है।
मालब-दीन्नम पुष्य मपोङ्ूर सत्व सुरमि है प्रतिप्यारी
जिना पुरमि के पुष्प अगत मे पावा है पब मारी।
User Reviews
No Reviews | Add Yours...