भारत और चीन | Bharat Or Cheen
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
258
श्रेणी :
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गंगा रत्न पाण्डेय - Ganga Ratna Pandey
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डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन - Dr. Sarvpalli Radhakrishnan
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)भूमिका ^ ६
विविव व्यारयायें करते हे। कुछ दलगत सस्थाये है जो महावलाधिक्लत
व्यँग काई जेक के प्रत्यक्ष विबत्रण में कम करती हे, অলি
क्षैन्द्रीय शिक्षण-शिविर (বুল ट्रेनिंग कॉर) ओर केन्द्रीय राजवी
तिक प्रतिष्ठान जिन्हे राष्ट्रवादी दल चलाता है। ऐसे आलोचक
भी कम नही है जो इन्हें सैन्यीक्रण का साधन मानते है। श्रक्षपालू
विदेशी कहते है कि महावलाधिक्वत प्रजात॒त्र की अपेक्षा कार्ये-कुश लगा
अधिक पसन्द करते है श्रीर अल्पमत की राय को कुचल दिया जाता हैं
श्रौर कुछ सम्यायें तो बन्दो-शिविरों से किसी प्रकार भिन्न नही हे।
शप्ट्रवादी जासन को प्रजातत्र के सिद्धान्त से श्रमगत कहा जा सकता
है, इस सिद्धान्त से जो डावटर सन याद सेन के तीन सिद्धान्तो में से एक है
और जिसके अ्रनुसार शासन-सस्थाओ्रों को ज्तता द्वारा निर्वाचित श्रौर
प्रजातान्तिक ढग से नियबित रहना आवच्यक है। राष्ट्रवादी दल से
एक प्रस्तावित सविवान तेयार किया है जिसके द्वारा युद्ध के बाढ वे
चीन में प्रजातत्र की स्थ।पना करता चाहते हैं और जिसमे एसी
श्राधुनिक राजनीतिक वाराशों को गामिल किया गया हैँ जैसे
उपक्रम (इनीशियेटिव) और ऐसे দশিঘী ক্সী সত্ঘানুলি (হিক্ধাল)
जिन्होंने जतता का विश्वास खो दिया हो। इस समय तो चिद्याथियों
और अ्रध्यापको में विचारों का कठोर नियत्रण किया जाता हूँ। वर्तमाव
सरकार द्वारा प्रेरित जापान की प्रतिरोव भावना के श्रतिरिक्त श्रौ
किसी बात को जनप्रिय नही कहा जा सकता। चीनी लोगो को इस
बात की शिक्षा मिली हैं कि वे अपने आपको एक महान् परिवार के
सदस्य समझें श्रीौर इसलिए व्यापक क्षेत्रों में ससठित काय करने की
स्क्ति कम हूँ। परिवार के प्रति यह मोह व्यापारिक सम्थाश्रो, से मिक
मामलो ग्रौर शासन के क्षेत्र तक में दिखाई देता हैं। यह झ्रालोचना तो
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