बापू के समीप | Bapu Ke Samip
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
162
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about आचार्य रामलोचनशरण - Acharya Ramlochansharan
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)५११५
(9 )
राष्ट्रपति राजेन्द्रवावू सबसे पहले व्यक्ति ह जो वापूजी के प्रभाव
. में आये | चम्पारन सत्याप्रह के बाद ही बापूजी को अहमदाबाद
के मिल-मालिकों से लड़ना पड़ा और मजदूरों ने उनसे सत्पाग्रह
का पाठ सीखा। उनसे पद्दले किसीने अहिंसक हड़ताल का नाम
दी न सुना था|
१६१६ में गांधीजी भारत के राजनेतिक ज्षेत्र में प्री तरह
से उतर आये और रोलेट ऐक्ट के विरुद्ध आन्दोलन खड़ा करके
उन्होंने देशभर में सत्याग्रह की लहर फैला दी। उस समय द्विन्द
के राजनैतिक ज्षेत्र में दो दल थे--( १) गम दल, जिसके नेता
लोकमान्य वालगंगाधघर तिलक थे और (२) नम दल, जिसके
नेता श्री भीनिवास शास्त्री थे। कांग्रेस का काम লন
यहीं तक सीमित था कि वर्ष-भर में एक बार अधिवेशन कर
लिया जाता था और प्रस्ताव पास करके सरकार के पास निवेदन-
पत्र भेज दिया जाता था। इसके बाद वह सालभर के लिये मौन
हो जाती थी।
गांधीजी का तरीका बिलकुल जुदा था। उन्होंने कांग्रेस
को शकल द्वी बदल दी। प्रस्ताव पास करवाकर हुकूमत के
पास अर्जी वो वह भी भेजते थे, मगर छघनकी अर्जी मुर्दा नह।
होती थो, उसके पीछे अमल करने की शक्ति भी ट्वोती थी ।
चह जो कहते थे, पूरी तरद विचार करके कहते थे और जो
निरचय करते थे, तुरन्त ही उसपर श्रमल करना शुरू कर देने
थे) चकि वद् शुध दिपाकर नटो रखते ये, एमलिये वद
পাটি
अ
User Reviews
No Reviews | Add Yours...