अनुत्तरोपपातिकदशासूत्रम् | Anuttroppatikdashasutram

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Anuttroppatikdashasutram by खजानचीराम जैन - Khajanchiram Jain

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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नाम लाला कन्हयालार जी था आप मेरे पूज्य दादा स्वर्गीय लाला मेहरचन्द्र जी के भतीजे हैं । आप बालब्रह्मचारी है | बढ़े ही उदार और होशियारपुर की जनजनता के धनिक आर प्रतिष्ठित मज्ञनांम से एक हैं | धर्म की बड़ी लगन हैं । सेवाभाव इतना उच्च ह कि निधन से निधन व्यक्ति के यहाँ भी कोई छोटे से छोटा काम हो तो भाग कर जाते हं । इमकं अनन्तर हमारे धन्यवाद के पात्र लाला रोचीशाह जी मालिक फम लाला कन याज्नाह रोचीशाह जी 7 ४ প্লে | “ তা ০১ ०.१ ৮৮৪ শালা ग दम जा ` ~ जन, क्लाथ मचण्ट, रावलपिण्डी, हैं। मे इनका प्रशसा मे कहाँ तक लिखे | आपको शाख्रश्चद्धा, साथुमहान्माओं के प्रति अनन्य भक्ति और ज्ञान प्रचार के लिए उदारहदयता देखकर মহা हृदय गह़द हो जाता हैं। आप बट्‌ धनिक आर अपनी चिरादरी में मुख्य स्थान रखते हं । बद्‌ उच्च विचारों के धनी हं । महानुभृति से ओनप्रोत हं । गुरु महाराज की कृपा से हम गवलपिण्डी में एक आर भी सहायक मिले | आपका शुभ नाम लाला




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