इतना कुछ | Itna Kuchh

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
श्रेणी :
Itna Kuchh by गंगाप्रसाद विमल - Ganga Prasad Vimal

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about गंगाप्रसाद विमल - Ganga Prasad Vimal

Add Infomation AboutGanga Prasad Vimal

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
धान रोपते हाथ पानौ भरे सता में शोपते है घात मुनहर हाथ । घेहरों पर सतरगी श्वेताप भानि प्र মহ অহা উন জান ই হীলাত म भतम दृश्यों में झतनेगी सदियों ही दहइुनत भाषाम्‌ साठ दिना की प्रतीक्षा जब पर गे धान भरेंगे शा लिहान घुनहूँते हाथों मं खनभेगा बोठार से अन्न निवालत परिश्रम यार अय 1 अभी तो मिटटी सन द्वार्थो मं प्रतीक्षा है मिट॒टी मे राग घान रोपत हाथ रोपते हैं भविष्य धान रोपते हाथ / 15




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now