इतना कुछ | Itna Kuchh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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धान रोपते हाथ पानौ भरे सता में शोपते है घात मुनहर हाथ । घेहरों पर सतरगी श्वेताप भानि प्र মহ অহা উন জান ই হীলাত म भतम दृश्यों में झतनेगी सदियों ही दहइुनत भाषाम्‌ साठ दिना की प्रतीक्षा जब पर गे धान भरेंगे शा लिहान घुनहूँते हाथों मं खनभेगा बोठार से अन्न निवालत परिश्रम यार अय 1 अभी तो मिटटी सन द्वार्थो मं प्रतीक्षा है मिट॒टी मे राग घान रोपत हाथ रोपते हैं भविष्य धान रोपते हाथ / 15




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