संसार के आश्चर्य | Sansar Ke Ashcharya

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Sansar Ke Ashcharya by देवकीनन्दन बन्सल - Devkinandan Bansal

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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संसार के शाश्चयें _ १४ कुछ साकष पहले कोरिंगा ामक एक डिन्दस्तानी फकीरिस ने यूरोप में तहलका मचा दिस था। तलवार और चाकू को इस तरह घुमाती थी कि जेसे काराज़ हो । बह तेज तलवार पर बिता किसी हिचकिचाइर फे भपना शरीर रख देती थीं अपने मांस में छुरा घुसेड़ लेती थी और मजा यह कि ऐसा करने से न तो उसका शरीर पायल होता था चौर न एक बंद खून ही चाइर निकलता था | दस पा देखने बाला चीन के कांसू मरांत में रहने बाला श्ाइ-नवी चढ़ा भाग्यशाली था । उसने अपने लड़के के ताएफे के लड़के के लड़के के लड़के के फे के लड़के के लड़के के के लड़के को देखा था । कहते हैं एक घाए बीस के बादशाह से अपने राज्य में सबसे सुखी चुष्य की खोज कराई तो आह-सापा नहीं महोदय ही सकी सामने ले जाकर शाड़े गये । सच १७६० में झाह-क्यी को १४० व्यठ-पाते थे | कद न जद सिन्न का प्रसिद्ध फराशों रामीज दिवसीय १६४ मचा को पिता था--१११ लड़के चर ४१ लड़कियाँ । ं भू है कद इसास के राजा रास पंचम को जिसकी सूत्यु सन्‌ १६१० 7 सपा मऊ सख्ने मेन २४ सड़क चर ने साँप से व व्मोरत रहती . न मिथ सुरपपें शा । सम १५६४ न संप की उम में शसना सर्व हुई 5 ७ पक




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