हिंदी के मुसलमान कवि | Hindi Ke Musalmaan Kavi
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
21.32 MB
कुल पष्ठ :
401
श्रेणी :
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गंगाप्रसाद सिंह विशारद - Gangaprasad Singh Visharad
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दुर्गाप्रसाद खत्री - Durgaprasad Khatri
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सकलदेहभ ताम्म तिरूपिशीस् निखिललों कसमुन्नतिसाधिनीम् । सुजनमानसहंसनिवासिनोम् अतितरास्प्रशप्ासि सरस्वनीम् ॥ कवीद्र वाणी का विकास शब्द बहुत स्ऊ ओर बोपपस्य होने पर सी इतके भाव-विस्तार का क्ष त्र बहुत बड़ा है । यह अनन्त प्राकृत जगत अथवा इस पर के विचरणशी ल प्रात जोव सभी उस प्रकृति के ही संवार हुए हैं जिपको एक मात्र रफूति ही इस ेतन्यता की मूल कर्ची है । कही भी दू्ट्रि डालिए चाहे जड़ हो या चैतन्य उसके किसी भी चाहा अधवा आभ्यन्तरिक अवयवों पर किसी सी प्रफार का आघात पहुंचने पर उससे एक स्फुर ध्वनि उत्पन्न हा जाती हे जोइल बात की योतिका है कि कुछ प्रकति-संघप अवश्य इुआ | वायु का चलना पेड़ों की हरहराहट डालो का चरमर किचाड़ की खरटखटाहट ठृणों का उडना धूल का उड़ कर अपने शरीर पर लगना आदि किसी अलध्य संघर्ष के दही कारण होता हे । चैतन्य जगत में कष्ट पाने पर रोना आनद् में हंसना उन्माद मे उपद्रब करना ज्ञानावस्था में साघु-आजरण होना संत्रह त्याग आदि ये सब भाव किसी न किसी प्रकार
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