स्वप्नसिद्धि की खोज में | Swapnsidhi Ki Khoj Mein

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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की जनता के दरबार में साज्षों देने बे ठें, तो हम-लरीखों पर दया कीजिएगा । नहीं तो 'तनिक-ली चींटी साँप को खाय! के अनुसार हम सब इकट्ठ होकर, आप पर अनेक आक्षेप करके, आपके लिए आफत बन जायेंगे। घबरा डालने की शक्ति का उपहार केवल्ल आप ही को नहीं मिला है, ग्रह अब स्वीकृत न कीमजिएगा ?” (३. ८. २२ ) लीला ने रेखा-चित्र का दूसरा मनका भेजा | मैंने जब उसके छुपे हुए फार्म भेजे, तब उसने अनेक सच्ची-फरूठी अशुद्धियाँ निकाली । बड़ों की भूल निकाक्षते हुए ज्यों बालकों को प्रसन्‍नता होतो है, त्यों में आपके भय से मुक्त होने का इस प्रकार मार्ग खोजती हूँ। परन्तु इसके लिए कोई दूसरा अच्छा ढंग खोज निकालना होगा | कुछ बताहइएगा 1 ( १७, ८. २२ ) इस प्रकार एकलूमरे को मसख्रों करके हम श्रन्तरा्यो का भेदन कर रहे थे । बाबुलनाथ के सामने मैं दूसरी मंजिल पर रहता था। १६२२ के বুনন में लीला के सोतेले पुत्र ने नीचे वाला फ्लेट किराए पर लिया । एक दिन रात को भोजन करके में सोफे पर लेटा हुआ ब्रीफ पढ़ रहा था ओर नीचे से लीला के गाने की आवाज ऊपर आ रही थी | मेरे हृदय के तार भनमना उठे । यह बात मुझे अच्छी तरह याद है। दो वर्ष की उपा सदा की साँति मेरी छाती प्र ओंधी पड़ी थी। बह उस समय बहुत छोटी, गोरी, सुन्दर और इष्ट-पु्ट थी । वह बोलती बहुत कम, रोती बिलकुल नहीं, ओर जब में रात को भोजन करके लेटा हुआ ब्रीफ पढ़ता, तब बह आकर मेरी छाती पर, मगर की तरह आधी पड़ जाती ओर थोड़ी-थीड़ी देर में, बिना बोले, सिर _ डठाकर, सुन्दर आँखों से मेरे मुख की ओर, ब्रीफ के पत्रों की ओर या सामने बैठकर हिसाब लगा रही था कटाई का काम कर रही अपनी माँ के सामने उकुर-ठकुर देखा करती | कुछ देर वह इस प्रकार पड़ी रहती और फिर ৮




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