अथ पदारात्नावाली | Arth Padratnawali

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Arth Padratnawali by रामरतन लढ्ढा- Ramratan Ladhdha

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about रामरतन लढ्ढा- Ramratan Ladhdha

Add Infomation AboutRamratan Ladhdha

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
पदरत्रावली । (३) के वो सुरवि्छ नहीं के सेवग जुटाह ! ३ ॥ साधसंगतका गण कहां मनका भ्रप्त न जाइ। के तो विज साधू नह के सन्‌ कुटलाड़ ॥ ७ ॥ रत (पिया गुण कहा विषकूं नाई पेले | के तो गु चि नह क सन नहा झल ५ ४ दातारगीका गुण कहा कछु दान न दीन्‌ | के कृवीर तुम दानपती हमसही कृरम्‌ हीना ॥ ६ ॥ पृद २. राग सारठ ताल खरवा ॥ इकराजा नगर उजीणीका साई कारण जो गलियी है मोहतज्योमरगानेगीकाटेर त्यागी कृूनक छतर पचासन होरा रतन




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now