धर्म्मदास जी की शब्दावली | DharmmaDas Ji Ki Shabdawali
श्रेणी : धार्मिक / Religious, हिंदू - Hinduism
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3.09 MB
कुल पष्ठ :
98
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सतयुर महिमा दर
दिये दरसन सन लुभाणो, सुन्ये बचन अमोल हो ।
' ऋण छाया सघन घन की, करत हंस कलाल हो ॥ रे ॥
दया कीन्हों. दीन्दो, आपनी करि सेन हो ।
. अक्ति सुक्ति सनेही सजने, लिये परथम चीन्ह हो ॥ ३ ॥
भये कलमल दूर तन के, गई नसाय हो ।
अटल प्थ कबीर दीन्दा, घ्मदास लखाय हो ॥ ४ ॥
॥ शब्द ऊ |
सोरे पिया सिले सत ज्ञानी ॥ टेक ॥
ऐसन पिय हस कबहूं न देखा, देखत सुरत तुसानी ॥ १ ॥
एन रूप जब चीन्डा बिरह्टिन, तब पिस के सन सानी ॥ २ ॥
जब हंसा चले. सानसरोवर, सुक्ति भरे जहाँ पानी ॥ ३ ॥
कर्म जलाय के काजल कीन्दा, पढ़े प्रेस की बानी ॥ ४ ॥
घध्मदास कबीर पिय. पाये, मिट गइ आवाजानी ॥ ५. ॥
॥ शब्ड ८१
गुरु पद अदे सबन से सारी ॥ टेक ॥
चारो बेद तुले नहि गुरु पद, ब्रह्मा बिष्तु और ब्रह्मचारी ॥ १ ॥
नारद मुनि सये गुरुपद सजि के, जपत सेस संकर की नारी ॥ २ ।
खुर नर सुनि भये शुरुपद भजि के, जपत राम अझरु जनक दुलारी॥ ३
ध्मेदास में गुरुपद सजिहेँ, साहेब कबीर समरथ बलिहारी ॥४
॥ शब्द ९ (1!
दस. उबारन.. सतयुरु, जब... में श्राइया ।
प्रगट भये. कासी में, दास कद्दाइया ॥ १ ।
बास्दन आओ. सन्यासी, तो. हँसी. कीन्दिया ।
कासी से. मगहर आये, कोई नहिं चीन्हिया ॥ रू |
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