आर्योदय | Aaryodaya
श्रेणी : धार्मिक / Religious
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
207
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)হই घमेका अधिकार १
ये घ्य है, जिनके दयो यह ग्रेमाओ कभो टशडी नहीं
पती । घे निधन होते हुए भी देशभक्तिके महाघनके धनी होते
हैं। थे अन्दरसे निद्ाण रदते हैं, चाहे लोग उन्हें कितना हो
“ইছালে হাঁ न समभते हों ।
६. परन्तु श्रार्यधर्म किसीको यदह शिक्षा नहीं
देता कि यह इसे अ्रपनाते दी अपनोंको छोड़ दे । थद
तो इस खातमे अपनेफो छतकूत्य समझता हैं कि सय
ज्ञातियां मौलिक सश्याइयोंकों समझकर ध्यपनी परिस्थितिक
अजुखार उनपर आचरण करें शोर फल पार्वे। इन सच्चाईयोंका
श्मारमा तथा घुद्धिफे साथ खम्यन्थ है । इनपर तत
आर बायुका फोर भ्रमाव नहीं । प्रात्माकी ज्योति स्न्न
प्रण्यलित द्ोरदी दे | चुद्धिका विकास सर्वत्र सम्भव है ।
पिचारके संघर्ष तथा अतुभवकी शरकाय्य युक्तिफे सम्यन्ध होतेही
भाषों फो सम्रताका आदश तक पहुंचना आसान द्ोजाता है ।
अतः पोशाक श्रौर भोजन, मकानों और दुफानोंमे हम
कमी देष नहीं ইন | অহ दोलकता है कि विद्यार परिवर्तनसते
इन बातोंपर भी प्रभाव पड़े और इनमें भी अन्तर चदा ष,
परन्तु प्रथम हमारा लक्ष्य धामिक बिचारोंका संघर्ष है |
श्मारिमिक जीवनक खंखभे द्योते ही दूसरे चेतनपर ऋष प्रभाव
पद जाता है। अतः इस कफथनमे कि मारतीय-घम्मं केवल
भारतके लिये ही है, कोई सार प्रतीत नहीं होता ।
७. पुराने भारतवासियोंने अपने सिद्धान्तोंकों अपने
तकदी खीमावद्ध नहीं क्रिया था। आये तथा चौद्ध प्रचारक--
द्ोंने आहुसे सहस्नों पर्ष पर्दे अपनो उदारता, कुशाप्र-
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