सहकारी समाज | Sahakari Samaj

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Sahakari Samaj by बैजनाथ सिंह 'विनोद' - Baijanath Singh 'Vinod'

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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सहकारिता-आंदोलन का आरंभ १७ समितियां भी बनीं । कृषि-सम्बन्धी आवश्यकताओं की पूति के लिए और ऋण के लेन-देन की व्यवस्था के लिए भी इंग्लेंड में सहकारी समितियां बनीं, पर इस तरह की समितियों का विकास विशेष तौर से जर्मनी में हुआ । जमनी जमेनी में सहकारिता का आरम्भ शूज़े डिलित्से और रेफिसिन नामक दो उदार महानुभावो ने किया ! १८४८ का वर्ष इस देश के लिए आथिक संकट का वर्ष था । इसी साल शज़े ने बीमारों की सहायता के लिए एक सभा बनाई और कच्चा माल खरीदने के लिए चमड़े का काम करनेवालों की भी एक समिति बनाई। १८५० में उन्होंने अपने नगर में ऋण देनेवालों की एक समिति बनाई और दो वर्ष बाद कामकरों को स्वावलम्बी बनाने के उद्देश्य से उन्होने एक नदं सहकारी संस्था का निर्माण किया । इसी समय रैफिसिन ने गांवों में आलू तथा रोटी के वितरण के लिए एक सहकारी सभा कायम की | ल्फैम्सफोर्ड में इन्होंने कर्ज देने के लिए सोसाइटी बना ली । यह सोसाइटी गरीब किसानों की मदद करती थी । पर उसके सदस्य अधिकतर धनी टोय थे। १८९२ मं रेफिसिन ने ओर एकं ऋण देनेवाद्ी सभा बनाई । इसके सदस्य केवल किसान ही थे । शूज़े और रैफि- सिन की सहकारी समितियों को सरकारी सहायता नहीं मिलती थी । इन लोगों ने गरीबों के प्रति सहानुभूति से प्रेरित होकर इन कार्यो को आरम्भ किया और धीरे-धीरे व्यावहारिक अनुभव के साथ सहकारी आन्दोटनो को विकसित किया । दोनों सहकारी नेताओं के विचार समान थे। दोनों ने सहकारिता की समस्याओं




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