विचार रेखा | Vichar Rekha
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
202
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)विचार रेखा ५
जो किसी को दुख नही देता, भौर सबका भला चाहता है, वह श्रत्यन्त
सुखी रहता है.
~ मनुस्मृति
श
जीवो का श्राघार-स्थान पृथ्वी है वैसे ही भूत श्रोर भावी तीर्थद्धूरों का
भ्राधार-स्थान शान्ति श्रर्थात् श्रहिसा है.
~ भगवान् महावीर
ডঃ
हैं पायिव ! तुमे সমন है. तू भी श्रभयदाता बन. इस क्षणभंगुर संसार
में जीवों की हिंसा के लिए तू क्यो श्रासतत हो रहा है ?
- उत्तराध्ययन सूत्र
২,
इन जीधों के प्रति सदा भ्रहिसक वत्ति से रहता जो कोद मन, वचन
श्रौर काया से भ्रहिसक रहता है, वही श्रादर्श संयमी है.
“- देशवेकालिक सूत्र
= नि
ईसा मसीह की प्रहिसामे माका हृदय दै, श्रौर कनपफ्युक्षियस्च की
भ्रहिसा में तो हिसा को रोकथाम मात्र है, तथा बुद्ध की श्रहिसा तो हिंसा
को भी साथ ले कर चली है, श्रौर महात्मा गाधी की श्रहिसा जितनी
राजनंतिक है, उतनी धार्मिक नही, पर भगवान् महावीर की भ्रहिसा में
उस विराट पिता का हृदय है, जो सुमेरु सा सुहढ कठोर कत्तंव्य लिए है.
“ लक्ष्मीनारायण सरोज
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