चांदनी रात और अजगर | Chandni Raat Aur Ajagar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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क লাই হালা प्रकाशन चांदनी रात और अजगर 'बरागद की बेटी?, और प्रस्तुत कविता ध्वॉदनी रात और अजगर इसके प्रमाण हैं । ঘো-সহীঘঃ সী 'ऊूम्मियाँ? के पश्चात्‌ अश्क ने एक प्रकार से रूमानी मिलन और विरह के गीत स्वना बन्द ही कर दिया। ऊम्मया! में एक कविता 'नीम से है, जिसने कवि ने अपने उद्दाम योवन की अनेक करुण और मधुर स्मृतियों के साक्षी नीम? को स्नेहांजलि अपित की ह| इस कविता मे जितनी श्रात्म-विहलता श्रौर गहरी वेदना ह उतना ही वर्ग-समाज के वैषम्य के प्रति सचेतन प्रतिवाद का स्थर भी हे! नीम उन तमाम प्रणव-क्रीड़ाओं का साक्षी है, जिन्होंने कवि के গুহ में नयी उमंगें, नयी आशाएँ ओर नयी जीवनाकांक्षाएँ जगाई , पर साथ ही नीम उन मनस्तापों, अश्रुधाराओं और हृदय में तूफ़ान बन कर उठने वाले हाहाकारों का भी साक्ती है, जो दो प्रेमियों के मिलन में दुरगम बाधा बन कर खड़ी, वर्ग समाज की जीवन-भक्ती-मैतिकता के निर्मम दंशन से उस में पैदा हुए। कबि का हृदय जैसे अपने कठोर अनुभवों की शिला से टकरा कर यकायक चीत्कार कर उठा ; लेकिन इस दुनिया में उल्कत तुल्ती हैं धन के तोलों में। पर इस सहज-चीत्कार में छिपा प्रतिवाद का स्वर आगे की कविताश्रों में संचतन हो जाता है और 'अश्कः 'डल्फ़तः को भी “घन के दोली में? तोलने वाज्ली वर्ग समाज की नेतिकता और उस के वैषम्य को के) २ श्राचक सष्टता से प्रतिर्विधित करने लगते र । गीत होने के साथ नाम्‌ सः कावृता मे कर्णं मधुर स्मृतियों का अनुरंफन, पीड़ाओं श्रार पुलको मस श्रात्म-निवेदन स्वयं मे एकं भावपूरं कहानी वन गया | अगला कविताओं मे यह विकास जारी रहा और “अश्कः पद्य-कहानियाँ लिखने लगे | पन्द्रह




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