पुष्पांजलि पार्ट - १ | Pushpanjali Part -i
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
12 MB
कुल पष्ठ :
396
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)काव्य--मद॒न-दहन । ই.
एेरावत-उतसाद-दित-ताडन सें हद् जैन ।
ता कर सें परस्थे जुष तासु मुदित खर रन ॥२०॥ (२३)
तासु मीत बसन्त, अर रति, महा भय सें पामि ।
करत मन सङ्कल्प बहु विधि चले ता संग खानि ॥
प्रानह ते काज साधन परम प्रिय अनुमानि ।
गया स हिमवान पे जँ तपत शिव तपखानि ॥ २९॥ হেই),
समाधिख मुनीन के तप तैज के रिपु घार ।
मार-मद् तहं धारि तञ भे प्रकट मधु बरजोर ॥
हात उत्तर श्रार खर प्रवृत्ति देखि अकार ।
জ্বী दच्छिन वायु मुखते मनड श्वास बिहार ॥२२॥ (२४-२०)
भूषनन से जरितः, नक्तसिख भरी रूप कलाम ]
मदन मद सें छकी, अन्चुपम चारुता की धाम ॥ (रदे)
बज्ञत नूपुर मन्द गति-बस अशुरिन यहि भाँति |
मनहु तन धरि सुरुचि, पगपरि, रूप बरनत जाति ॥ २३ ॥/
जटित जेहरि तड़ित सी युग शुर्ुफ पै छबि देत ।
भानु अरु सितभानु फे! मच करति से सखदेत ॥
हेन ताड़ित तान सुन्दरि चरन सरें बिसराय ।
पट्छचित हे उच्यो एकि असक रीति विहाय ॥ २७ ॥ (रद).
मझरि चारु रसारून की ऋतुराज मने। बर बान बनाये |
भैरन सर किसले करि भूषित मानहु नाम मनेज लिखाये ॥
बानन पत्र समान तिन्हें रछखि केोकिल कूक पुकारि सुनाये |
“हे।हु सचेत, अहे! बिरही जन | चाहडु जे निज भान बचाया
| - . ॥ ८५॥ (रऽ)
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