गुलामी से उद्धार | Gulami Se Uddhar
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
21 MB
कुल पष्ठ :
733
श्रेणी :
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मूलचन्द्र अग्रवाल - Moolchandra Agrawal
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)[ ६ |
छोटे छोटे बच्चोपर में अपता प्रभाव भी डालना चाहता धा । १६
चर्षहक मे घरावर अपने अन्तःकरणके साथ সুভ करता रहा।
अब मेरे लिये यह असम्थव हो गया है कि मे अपती भीतरी
इच्छाके घिप्टीत जीवन व्यदीत करू । मैने वर्षोसि ज्ो निश्चय
अर रखा हे, उसीकों घर छोड़कर पूरा करना चाहता हूं। में
बृद्धावस्थामे इस जीवनके भारको असह्य मानकर अधिक शान्ति-
का अमिलापी हूं। दच्चो सी अब अवस्पामे अधिक हो गये हैं और
मेरे प्रभावणी आवश्यकता नहीं रखते | तुम सब इतने खुखनमें
यञ्च ते कि मेरी यनुपस्थितिसे विशेष कष्ट न दोगा ।
में ७० वे घषमे प्रवेश कर रहा हूं। प्रत्येक वृद्ध मनुष्य
जीपतदा অন্ষিল समय ईश्वरीय सेवार्में गाना चाहता है।
रिन््दू ६० पणदी अवस्था प्राप्त करनेपर जङ्कलोमे चले जाते है ।
धामिषः मनुप्यको बृद्धाव्स्थामे क्या दंसी-मजाक, खेल-कूद
অহ भा सकता ट १ अपने अन्तःकरण और बाहरी जीवन-
ই; ভীত দই जिस थुद्धदा अनुभव वार रहा हूं, उसका अन्त
दाएठा ए |
यदि में खुले शैदाव घर छोड़कर जानेकी तैयारी करता, तो
त्रेय घतुनय-विनय, तक्ष-वितकंसे मुदे वशम करनेकी अवश्य
है लेष्टा करते । मेय निश्चय उख समय शिधिल पड जाता,
जिखदे सनुसार साम॒ करना मँ प्रम सावकश्यक सप्रभता हं ।
ল কালা करता हू, वि यदि पेरे इस कार्यसे तुफ्हें ज़राभी कए
টা, तो तुम मुझे क्षमा प्रदान करोयी। सुमे अब प्राणप्यारी 1
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