अनुप्रास का अन्वेषण | Annu Prakash Ka Anveshan

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Annu Prakash Ka Anveshan by जगन्नाथ प्रसाद - Jagannath Prasad

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about जगन्नाथ प्रसाद शर्मा - Jagannath Prasad Sharma

Add Infomation AboutJagannath Prasad Sharma

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
( १३ ) 'हिमशेल शिखरपर सिधारे और पं० राजाराम शास्त्री उक्त पदूपर पधारे थे। अनुप्रासके अनुरोधसे ही राय रामशरणदास वहा- डुस्‍ने भी खागतकारिणी समितिका अध्यक्ष होना अद्भीकार किया ओर मनहस सुदरंमकी तङ्क्‌ तातीरु तजकर क्रिसमसका खुदावना समय स्थिर हुआ। लोगोंको लखनऊसे ही लाहोर चलनेकी छालसा लगभग साल भरसे लगी हुई थी पर दाना- पानीने सबपर पानी फेर दिया। अन्नजर बड़ा प्रवर ই। पग्गड़बाज पञ्ञाबियोंकी परिवत्तंनप्रियता अथवा लहरी छाहौ- रियोकी लबड़धोंधोंसे हमारे तुम्हारे सबके छक्के छूट गये। हके बक्क हो इधर उधर ताक श्चांक करने लगे। घिघ्घी बंध गयी, बोल बन्द हुए। पर स्थायी समिति स्थिर रही। किं- कर्त्तव्यविमूढ़ न हो उसने सोचा समझा और अलाहाबादमें ही अधिवेशनका आयोजन कर एक सख्त सवार या मुफीद मसला हल कर डाला । लिहाजा लाचार हो छाहोरकी लम्बी मुसा- फरीसे मुह मोड़ अचुप्रासके अनुसन्धानमें में भी पञ्नाव मेर्से परने होता प्रयाग पहुंच ही गया । धर्म्म. साहित्य सेवाके बाद অলী कर्म्म हे। धर्म्मान्ध, धर्म्म- घुरन्धर, धर्मंघुरीण, धर्स्मावतार और सनातनधर्म्मांवलम्वी बन कर पोथीपुराण, श्र्‌ तिस्मृति, शास्त्रपुराणका पठन-पाठन और अवण मनन निद्ध्यासन करो, प्रतिमापूजन प्रतिपादन, मूर्चि-




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now