तरुणके स्वप्न | Tarun Ke Swapn
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
178
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)देशकी पुकार
जहां जिस हालतमें हो चले आओ । चारों तरफ साका
महल शंख गूंज रहा है। वह देखो पृर्वाकाशमें भारतके
-भाग्य देवता तरुण तपसके ` रूपये उदय हो रहे है ! स्वाधी-
, नताका पुख्य प्रकाश पाकर चीन, जापान, टकी, सिश्रतक
“विश्व-परिषद्सें उच्चतम स्थानपर पहुँच गये हैं । क्त्या
अब भी तुम मोह निद्राम सोते स्टोगे ?
| उठो | ज्ञागो | अंब देर करनेसे काम नहीं चलेगा।
अठारहंवी शताज्दीमें विदेशी वशिकोंको घरका दरवाजा
` दिखलाकर तुम्हारे पू्वे पुरुषोंने जो पाप किया था,
वीसर्व शताब्दीये उसी पापक्रा प्रायर्चित करना दोगा ।
` भारतकी नव जाग्रत राष्ट्रीय आत्मा मुक्तिके लिये हाहा-
कार कर रही हैं।इसीलिये कहता हूँ, तुम सब. चले
आओ | भइया दूजकी राखी बाँधकर, सात-सन्दिससें दीक्षा
-लेकरः प्रतिज्ञा - करो कि साकी कालिमा दूर करोगे।
भारतकोः पिर स्वाधीनताके रसिंद्यासनपर चैटाच्रोगे
ओर स्वेस्वहरा भारतलच्ष्मी के लुप्त गोरव ओर सौन्दर्य
“का पुनरुद्धार करोगे ।
-११ पोष १३३२ ( बंगला )
এ পিপি
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