भारतीय आर्थिक प्रशासन | Bhartiya Arthik Prashasan

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Bhartiya Arthik Prashasan by हरीशचन्द्र शर्मा - Harishchandra Sharma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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आशिक प्रशासन के मूल तत्त्व ११ संगठन का अध्यक्ष अपनी जानकारी के लिए समय-समय पर काम की प्रगति की सूचना माँगता रहता है और योजना की सही स्थिति के सम्पर्क में रहता है। इससे योजना की प्रगति ठीक दिशा में रखने में सहायता मिलती है । बहुत वड़ी व्यावसायिक इकाइयों में काम (या योजना) की प्रगति की जानकारी देने के लिए अलग आर्थिक एवं साँख्यिकी विभाग (80ण0ग्रां० थ्यार्त 3121151165 29 ्पला १} स्थापित किये जाते हैं । (७) बजट बनाना (800828०778)- इन सव कार्यो के अतिरिक्त योजना पर होने वाले खर्च का हिसाव रखना, नक्रद प्राप्ति, भुगतान तथा विक्री का हिसाब रखना तथा व्यवसाय के सारे लेन-देव का लेखा-जोखा रखना बहुत आवश्यक होता है । प्रस्येक प्रशासक वर्प के आरम्भमें ही जाय-व्यय, त्रिक्री, खरीद तथा नकदी की प्राप्ति और भुगतान का एक लेखा तैयार करता है जिसे बजट कहते हैं জন कभी-कभी त्रैसाप्तिक या मासिक भी तैयार किया जाता है किन्तु वह वापिक জন का एक भाग ही होता है। अनेक वार अलग-अलग विभागों के अलग-अलग बजद बनाये जाते हैं। वजट तैयार करने से प्रशासन के सामने अपने व्यवसाय की पूरी तस्वीर रहती है ओर सव विभागों कौ अपने-अपने उत्तरदायित्व का ज्ञान रहता है । इससे प्रत्येक योजना को पूरा करते में सुविधा रहती है । श्रेष्ठ आथिक प्रशासव--आवश्यक तत्व [90075 15001097410 479)1]ব1577২47708-5955৭ 1121, চাচার 8] एक अच्छे आधिक प्रासन मे निम्नलिखित वातं होनी आवश्यक हैँ : (१) ज्ञीत्र निर्णय (0णं०८ 7८०ंञ्॑००)--आशथिक समस्याएं प्रायः ऐसी होती हैं जिनके उचित समाघान के लिए निर्णय लेने में देर नहीं होनी चाहिए । अतः प्रशासव का सारा सेंगठन ऐसा होना चाहिए कि समस्या के उत्पन्न होते ही उसके समाधान के वारे में निर्णय लिया जा सके। बड़ी-वबड़ी व्यावसायिक इकाइयों में आधिक तथा सांख्यिकी विभाग प्रायः सारी घटताओं के सम्पर्क में रहते हैं और उच्चतम अधिकारी को सव वातों की जानकारी देते रहते हैं। अनेक बार, कोई समस्या उत्पन्न होते ही उसका उपचार कर लिया जाता है। “सयाना व्यक्ति वही है जो रोग के चिह्न प्रकटट्होते ही उसका उपचार कर ले 1 (२) कुदाल संगठन (8০190 018272070०0)--श्रेष्ठ आथिक प्रशासन के लिए यह भी आवश्यक है कि उसका संगठन कुशल हो | कुशल संगठन का अर्थे यह है कि जो निर्णय लिए जायें उनका पालन करने में देर या ढिलाई नहीं होनी चाहिए। अनेक वार अच्छी से अच्छी योजनाएँ पालन की शिथिलता के कारण असफल हो जाती हैं। अत: प्रशासन के उत्तरदायी व्यक्तियों को सव विभागों की




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