सामाजिक ज्ञान | Samajik Gyan

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Samajik Gyan  by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( १५ ) स्या राज्य कुलायी 1 यह्‌ सिद्धान्त देखने मे सुन्दर दिखलाई पड़ता है ¶ वास्तविक सत्यसेकाफोदूरहै। प्राजके युगम जो सवेमान्य सिद्धान्त [ह्‌ है-विकरासवाद का सिद्धान्त इसके अनुसार राज्य धोरे २ विकसित | परिवार के अनुणासन तथा नियंत्रण के आधार पर धीरे २ राज्य जैसी ग कां जन्म हौ गया । इसको उत्पत्ति त्तया विकास धमं, रक्त, जाति, स्सोलिक परिस्थितियां आदि विभिन्न तत्वों का सहयोग हैं । ` † सामाजिक उन्नति के प्रमुख सहायक तत्वः- प्रारम्भिक प्रक्रिया”, गज और सामाजिक संस्थाओं का मूल क्या 2, इसका अध्ययन करने के रान्त एकं समस्या श्रौर वच जाती है । वह है समाज के प्रभावक तत्व - वे ब जिनकी सहायता से समाज उन्नति की ओर अग्रसर हुआ है । सभ्यता र संस्कृति का विकास हुआ है। ये तत्व निम्न है :-- (২) पेतृकता और वाताबरण (07390165800. 80 ৮800 ]0- 30) भयंकर गर्मी के दिन आते है । काले काले बादल उमड़-घुमड़ कर वरसते प्रोर किसान बोंज वोता है, अच्छी खाद देता है, सिंचाई से पानी पहुंचाता है र फिर अच्छी लहलहाती फसल को देखकर प्रसन्न दोता टै। इसका क्या रण है ? अच्छा बीज और ग्नुकूल वात्तावरण । खराब बीज या खराब तावरण से फल बिगड़ जाती है | इसी प्रकार समाज में कुछ व्यक्ति श्रतिभा “म्पन्न होते है, कुछ साधारण बुद्धि के और कुछ मूर्ख । इसका कारण भी ्छी पैतृकृतो और अच्छा वात्तावरण है , 1 पेतुकता मनुष्य को अपने मात्ता-पिता से विरासत में मिलती है। यह ह्‌ गए है जो वच्चा अपने माता-पिता से जन्म के काररा पाता है | फ्रांसिस गल्टन ने लिखा है कि महानता पौतृकता द्वारा निर्धारित होती है। पेतृकता 'कै कारण हो मनुष्य की एक जाति अपनी कार्यक्षमता ओर बौद्धिक विकास में दसरों से भिन्न है. हमारे पूर्वजों ने भय होने पर पलायन, क्रोध होने पर लड़ना, आइचर्य होने पर जिज्ञासा आदि कई शताब्दियों के बाद सीखा था । थे गुण हमें वंश परम्परा से प्राप्त होते गये श्रौर श्राज जो बच्चा पैदा होता है 'उसे ये गुण जन्म के साथ ही साथ स्वाभाविक रूप से श्राप्त हो जाते है | उसे 4০৪ 8০৮,১০4 কপ হাটে লি ৮৩১৯ ~ 3 न ~ ~ च ८




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