तत्त्व-चिन्तामणि (भाग-३) | Tatav Chintamani Part Iii
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
12 MB
कुल पष्ठ :
620
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about श्री जयदयालजी गोयन्दका - Shri Jaydayal Ji Goyandka
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)मनुष्य-जोचनका असूल्य समय ९२
किन्तु खेदकी बात है कि हमछोग ईश्वरके भजनकी
कीमत कौडियोके जितनी भी नहीं करते । मान लीजिये,
एक पुरुष साल्मरम आठ हजार एक सौ रुपये कमाता
है, वह यदि रोजगार छोड़कर# भजन करे तो उसका
भी वह मजन कडिति सस्ता पढ़ता है ।
वाषिक ८१००) के हिसाबसे एक महीनेके ६७५),
एक दिनके २२॥), एक घण्टेका 1 1) ए३ एक मिनट-
का एक पैसा होता है। एक पैसेकी अधिक-से-अधिक
साठ कौडी समझी जाय और ईश्वरका नामस्मरण एक
भिनय्मै कम-से-कम एक सो बीस बार किया जाय यानी
एक सेकण्डमे दो नाम लिये जायें तो मी वह कौदिरयोसे
मन्दा पड़ता हे । जब ८१००) सालाना कमानेवालेसे
मजनकी परता कौदियोति मन्दो पडती हे? फिर दजार-
पोच सौ रुपये साछाना कमानेवालेकी तो गिनती ही
क्या है ?
कञ्चन, कामिनी; मान, बडाई जर प्रतिष्ठाकी
आसक्ति पफेसकर जो रोग अपने अमूल्य समयको बताते
# वास्तवे रोजगारको स्वरूपसे दछुडानेका हमारा
सभिप्रा् नही है, केवर भजनकी मदिमा दिखानेके लिये
लिखा गया है। उत्तम बात तो यद्द है कि मुख्य वत्तिसे
परमात्माको याद रखता हुमा गौणी दृत्तिसे व्यवहार करे \
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