हाड़ौतीः साहित्य और स्वरुप | Hadoti Sahitya Aur Swaroop
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
171
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१६ ,हाडौती साहित्य और स्वरूप
१. उत्तरी हाड़ीती 1
२. दक्षिणी हाड़ौती ।
उत्तरी तथा दक्षिणी हाड़ौदी के वीच की सीमा चम्वल नदी द्वारा बनाई
गई है । पर चम्बल के उत्तर का वह भाग, जो तत्कालीन कोटा राज्य का ही
भाग था, दक्षिणी हाड़ीती के अन्तग्रेंत ही रहेगा, क्योंकि कोटा राज्य के निर्माण
के उपरान्त इस भूमाग का प्रेरणा-केन्द्र कोटा रहा है । इस प्रकार वर्तमान
बूँदी जिले का वह भाग जो हाड़ौती-माषी है उत्तरी हाड़ीती क्षेत्र में आता है
आर कोटा जिला का हाड़ौती-मभाषी क्षेत्र दक्षिणी हाड़ोती-क्षेत्र में आता है।
उत्तरी हाड़ौती और दक्षिणी हाड़ीती का अंतर इस प्रकार है :
१. उत्तरी हाड़ीती में पुरुषवाचक सर्व॑नामों मे उत्तम पुरुष तथा मध्यम
पुरुष में क्रमशः 'मे” और त्ते' रूप प्रायः सुन पड़ते हैं । ये एकवचन में भी प्रयुक्त
होते हैं और बहुवचन में भी, पर इनके साथ क्रिया सर्देव बहुबचन की आती
है। दक्षिणी हाड़ौती में क्रमश: म्हूँ, थू या तु रूप एकवचनीय हैं और म्हां तथा
थां बहुवचन के रूप हैं तथा क्रिया ऐसे शब्दों के अनुरूप लिंग-वबचन में रहती है।
उत्तरी हाड़ीती के उपयुक्त रूपों के अ्तिरिवत दक्षिणी हाड़ीती के रूप भी
उत्तरी हाड़ौती क्षेत्र में प्रयुक्त होते हैं
२. दक्षिणी हाड़ौती में क्रिया के सामान्य मविष्यत् के रूप गो, गूं, गा
आदि को क्रिया के वर्तमान निरचयार्थ रूप में जोड़ने से सम्पन्न होते हैं, पर
उत्तरी हाड़ौती में ये घातु-शव्दों के साथ -सी, -स्यूँ आदि के योग से भी बनते हैं ।
इस प्रकार दक्षिणी हाड़ीती के 'तू झावेगो” वाक्य के अतिरिक्त तु जासी--
प्रकार के वाक्य भी मिलते हैं ।
३. जहां दक्षिणी हाङ्ीतीमें यहां, ज्या, खाँ श्रादि स्थानवाचक क्िया-
विद्ेषण प्रायः सुनने को मिलते ह श्रौर स्णान-संकेत-वाचक क्रियाविशेषण
श्रठीं, उठी, जठीं भी सुने जाते हैं, वहाँ उत्तरी हाड़ौती में श्रठे, उठे, करठे शब्द
प्राय: सुनने में आते हैं। शेखावाटी में भी यही स्थान-वाचक क्रिया-विशेषण
प्रयुक्त होते हैं ।
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