भारतीय हिन्दु मानव और उसकी भावुकता | Bhartiya Hindu manava aur uski bhabukata
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10 MB
कुल पष्ठ :
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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াননীপাভ়াকে জান করা ই হী মানা
বনানী 11;
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बुद्धि।; शरीर /उ्तीनों?। त्थ/ तीनों के लय पर : भनोष्यापार के ही?
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সিনা টহামীনা বগল ঘুরি; তাদী मानस चिन्ता में हीं? अपहुत+
रे हैत वन्दि মাম জারীর রিয়া দারা এম) का^
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उसितकाह्म-“इन्क्र्येक प्रस्यक्ष जगत, से+सम्बद्धन्हे।: जोः प्रत्यक्तनमतू>
ব্জানকাজ की अंनुवाभीम्यनी २हता'है। वत्तेमान - विषय ही
अल्पेसे/विफ्य हैं? पत्र ये ही-मेनो व्यापार के: क्पपार हैं।, फेस!
इक्तइन्द्रिययुक्त मंने की: बर्तममिकेक से भलीभांति सम्बन्धः सिद्धः
होजाता दै॥ : इक अकार- आत्म-बुद्धिशरी स्पर्मिवः - इन्ह्रियः ये:
मन के प्च्चाती सानव-फो अवश्य ही बत्तंमालकाल!नु भमी, सनः
पे দানা না মারি রা
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