आजकल | Aajkal
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
138
श्रेणी :
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No Information available about चन्द्रगुप्त विद्यालंकार - Chandragupt Vidyalankar
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१७ आज फी दुनिया
की सद्दायता पाकर यह व्यक्तिगत जायदाद ॐ संस्था
ओर मी अधिक वलवती हो गह 1 समथ राजाओं और
হাক্িহাভা ज्ञातियों ने बड़े-बड़े साम्राज्य इसी उद्देदय से
स्थापित किये भौर ऋमश!ः मयुष्य के सम्मुख यदह महत्वा-
कांक्षा और भी उम्ररुष में आा खड़ी हुईं कि वह अपनी
व्यक्तिगत सम्पि को वढ़ाए । जीवन-संघर्ष की तीन्रता
और भी अधिक बढ़ते जाने का यही कारण है ।
देशभक्ति--किसी समय मलुध्य-समाज सुख्यतया
धर्मौ के आघार पर विभक्त था । आज धर्मो की महा
यहुत कम हो गई है और देश-भक्ति तथा जातीयता ने
उसका स्थान ले लिया है। देश-भक्ति आज के संसार का
परम धर्म वना हुआ है! यह देश-सक्ति आज केवर अपने
देश की उन्नति फरने की इच्छा तक ही सीमित नहीं ।
देश-सक्ति का अब यह अभिप्राय भी लिया जाता है कि
अन्य देशों की अपेक्षा अपने देश को अधिक उन्नत ओर
अधिक सम्पन्न बनाने की फोशिश की जाय ।.इस उद्देश्य से
दूसरे देशों को अपने अधीन वनने का সব करना
भी देश-सक्तों की निगाह समे पुण्य देनेवाला माना
जाता है |
जाति-भक्ति--जीवन-संघर्ष का दूसरा रूप जातीय
संघ के रुप में प्रकट हुआ है। मनुष्य सामाजिक भाणी है ।
चह मिल कर रहता है और स्वभावतः बह इस वात का प्रयत्न
करता है कि अपनी उन्नति के लिए वह उस श्रेणी अथवा
उस जाति की उन्नति करे, जिसमें घह रहता है, जिसमे
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