आरएयक | Aareyak

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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प, मगर अपनी यह स्मृति आनंद की नहों, दुःख की है 1 स्वच्छंद प्रकृति की वह लोछा-भूमि मेरे ही हाथों विनष्ट हुई। में जानता हूँ कि इसके लिए चन-देवता मुझे कभी साफ न करेंगे। सुना है, अपने से अपने अपराध की वात कहने से उसका भार थोड़ा हल्का होता हैं! इस कहानी की जवतारणा इसीलिए हुई है।




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