जवाहर ज्योति | Jawahar Jyoti
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10 MB
कुल पष्ठ :
292
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about पं. शोभाचंद्र जी भारिल्ल - Pt. Shobha Chandra JI Bharilla
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)बरहाचये | [ ७
ही काम में आती है. और अनेक बातें ऐसी भी होती हैं जो
कल्पना द्वारा ही काम में आती हैं ।- मैं अपन्ती यह बात
बलात्, स्वीकार कराना -नहीं चाहता, मगर यदि आर्प मेरे
क~न प्र गहुरा विचार करेंगे, तो आप स्वय ही “इसकी
सत्यता को स्वीकार करने. लगरेगे । आज .बुद्धिवाद का युग'
चल रहा है अतएव प्रत्येक बात बुद्धि की-कसौरी पर कसी
जाने पर ही मान्य होती है | पर मै कहता हूं कि आप मेरे
कथन को हृदय की कसौटी पर कस कर ही स्वीकार कीजिए
अगर कोई बात हृदय स्वीकार न करे तो उसे मत॑ मानिये।
ज्ञानी भी कहते हैं .कि हमारी प्रत्येक बात को ' हृदय की
कसौटी पर चढाने के पश्चात्. ही स्वीकार करो |
जो वातं प्रत्यक्ष नहीं है पर कल्पना में आती है उसे
मस्तक मे किस प्रकार उतारा जा सक्ता है? यह् प्रश्न
उपस्थित होता है ।' उसका उत्तर यह है कि स्कूलों में पढ़ने
वाले बालक रेखागणित मे भूमध्य-रेखा कौ मोटाई मानकर
एक रेखा बनाते हैं पर वास्तव में भूमध्य-रेखा मे मोटाई
होती नहीं है । जव भूमध्य-रेखा मे मोटाई नही है तो फिर
उसकी, कल्पना क्यो को -जाती है ? ओौर वह् किसलिए खेची
जाती है इसके लिए यह:कहा जाता है किं भूमध्य-रेखा
बनाये विना --उसकी कल्पना, न की जाये तो. आगे कामं
ही नही चलता । .
पुण ब्रह्मचारी को समस्त ,शक्तियाँ प्राप्त ' हो जाती
हैं। कोई भी शक्ति ऐसी नहीं बचती जो उसे प्राप्त न हो 1
वह शक्ति भले ही प्रत्यक्ष दिखाई न दे पर यदि उसे शार्स्त्र
को कल्पना का आधार प्राप्त है तो उसे:मानने में कुछ भी
हानि नही है । भले ही वह कथन कल्पवा-युक््त हो पर आप
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