आदर्श साहित्य संघ प्रकाशन | Adarsh Sahitya Sangh Prakashan

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Adarsh Sahitya Sangh Prakashan by मुनि धनराज - Muni Dhanraj

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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प.मायांका रहस्य एवं भेद 0100001000৩ ६.लोभ का विवेचन एवं भेद. ..:. ~. ६ ...... ४३ ... १०. क्रोध आदि की उत्पत्ति के कारणं 5 সু ~ :११. भति की अपेक्लां से कोवादि की अधिकता 28৪ ४३ - १२. नोकपायवेदनीय एवं. नोकबायमोहनीय का स्वरूप एवं भेद . ४३ ' १३. जीवमोहनीयकंमं-बंन्ध के कारण... `. এ १४. मोहनीयकमे का अनुभाव ` ४६ -. १५. महामोहनीयकर्म-बन्ध के. अन्य कारण ४० - १६. आयुकर्म का स्वरूप एवं भेद ... . ৮ . १७; नरकादि-भागु के वन्घके कारण ` ` .. , ५४ '. . १८. अल्पायु बौर दीर्घायु के वन्ध के कारण ` ५५ „१६. बायुवन्व कार्थं .- .. ``. ५६ २०.आयु वाधते समय आकपं ` - . , ५८ ˆ .२१. मावुपरिणाम का भरथः एवं भेद. , .... .. সুজ -.२२.आयु वांधनेकासमय 7 , , ` ५६ . ` २.३. सोपक्रम-निरूपक्रम तथा अपवतंनीय-अनपवतेनीय आयु. का .रहुस्य ६० ` २४.वबीच में टूटी हुई मायु के वचे हुए मंशकाभोग्‌. , ,. ` - ६० . २५. अपवर्तनीय-अनपवर्तनीय आयु कैसे वंधती है ? 7. ६१ ._ २६. अपवर्तंचीयं-अनपवर्तनीय आयु के अधिकारी कौन-कौन ? ` ६२ -... २७ आयुट्टने केकारण. - - ছু २८. काल के परिवतनानुसारः आयु में हानि-वृद्धि ˆ ` ~... ६२ . २६. साधिक-सौ वषे की आयु में १६६९ वर्ष तक की आयु का समावेश . ६३ '.. ই০-আঘুক্ন কা অনুমান... ` - ০1072 ২. चौथा पुञ्ज शि .. : नामके कास्वरूपः .. ` `: “ -.~ „` ` . ६७ /: : रनामकम की সন্ভবিষাঁ. .. .. ~: ~ , ६९७. * নি हे ह हे পরি




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