हमारा कर्तव्य | Hamara Kartavya
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
120
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)खुभाष बाबूके व्याख्यान
जागे ? स्वाधीन देशके छात्र जो आदर और श्रद्धा पाते दै उसके फर
स्वरूप उनका दायित्वज्ञान जग जाता दै, कत्तव्य बुद्धि स्फुरित होती
है ओर अन्तर्मिहित देवत्व प्रकट होता है। अपने समाजके खिलाफ
सेरा अभियोग यही है कि हमारे छात्र जिस तरहका व्यवहार पाते हैं
वह मनुष्यत्वके विकाशमें सहायक या उसके भनक़॒ल नही है |
घिफ आशाकी बात यही है कि अब यहाके छात्र निश्चेष्ट नही हैं ।
समाजकी अपेक्षामे न बेंटकर वे अपना डद्धार खुद कर रहे हैं। इसी-
लिये देशव्यापी छात्रान्दोलन दिशववलाई़े पड रहा है। छात्र समाजने
अपना उद्धार कर नवीन समाज संगठनका दृढ सकढ्प कर लिया है।
आशा ओर विश्वास है कि स्वाधीन देभोंके छात्रोको जो आदर और
श्रद्धा प्राप्त है, वही यहा वाले भी क्रमशः प्राप्त कर लेगे | श्रीयुत खद्ड-
बहादुर जेसे छात्रोने देशकी समस्त श्रेणियोकी श्रद्धा और भक्ति प्राप्त की
है | इसी प्रकार समग्रछात्र समाज आत्म:प्रतिष्ठा प्राप्त करेगा।
मनुष्यकी उन्नतिमें सबसे बडी बाधा भरन्त आदं है) मनुष्य नव
कोई सत् या असते कायं वरता दै तवर वह नीतिकी दुद्दाई देकर आत्म-
प्रासाद छाम करना चाहता है । वर्तमान छात्र समाज भी कुछ आन्त
आदो की ओम अनुचित आचरण करता है और उसे प्रश्नय देता
है । उर्दाहर्णके तौरपर मेँ सुनाता टू । छात्र जीवनमे अध्ययन ही तए
है, इस तरहकी दुह्ाई देकर छात्रींका देश सेवाके कार्यपे विरत करनेकी
चेष्टा अनेक करते हैं। ` ` ।
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