बीजक | Beejak

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अभिलाष दास - Abhilash Das

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कबीरदास - Kabirdas

कबीर या भगत कबीर 15वीं सदी के भारतीय रहस्यवादी कवि और संत थे। वे हिन्दी साहित्य के भक्तिकालीन युग में ज्ञानाश्रयी-निर्गुण शाखा की काव्यधारा के प्रवर्तक थे। इनकी रचनाओं ने हिन्दी प्रदेश के भक्ति आंदोलन को गहरे स्तर तक प्रभावित किया। उनका लेखन सिखों ☬ के आदि ग्रंथ में भी देखने को मिलता है।

वे हिन्दू धर्म व इस्लाम को न मानते हुए धर्म निरपेक्ष थे। उन्होंने सामाज में फैली कुरीतियों, कर्मकांड, अंधविश्वास की निंदा की और सामाजिक बुराइयों की कड़ी आलोचना की थी। उनके जीवनकाल के दौरान हिन्दू और मुसलमान दोनों ने उन्हें अपने विचार के लिए धमकी दी थी।

कबीर पंथ नामक धार्मिक सम्प्रदाय इनकी शिक्षाओं के अनुयायी ह

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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शि; य 3 > 15 (~ ~ «& 4 © $ = ऋ =+ ह ह = १८ २८. সি, १३. 9४. १५. १६. १७. १८. १९. २०. २४. ९. २६. २७. निस्तार भोगो क्रे तयागी नहिं परतीत जो यह संसारा पुरोहितों की मानवता-विरोधी व्यवस्था कौ भर्त्सना बड़ सौ पापी आहि गुमानी अन्नान-ति मे मनुष्य का भटकाव वोनई बदरिया परिगौ सं्ञा चलत-चलत अति चरण पिराना तुम स्वयं महान हय, अपने रामरूप का स्मरण करौ जस जिव आपु मिले अस कोई संशय-पशु को मारो अदूबुद ন্ वरणि नहिं जाई प्रांति छोड़ो, राम में मो... अनहद अनुभव की करि आशा मन के विकारों से हटकर अविनाशी হান দলা अब कहु राम नाम अविनाशी ग़म के ज्ञान से ही दुखों से छुटकारा है बहुत दुःख दुख दुख की खानी मोह-मन्दिर में मत घुसो अलख निरंजन लखै न कोई विषयुख अल्प है, आत्मसुख नित्य है जल्प सुख दुख आदिड अन्ता तुम स्वयं सर्वोच्च सत्ता हो चन्द्र चकोर की ऐसी बात जनाई जिसे खोजते हो वह तुम स्वयं हो चौंतिस अक्षर का इहै विशेषा निज चेतनस्वरूप को पहचानने वाला सर्वोच्च है आपुहि कर्ता भये कुलाला संसार प्रकृति-पुरुषमय है ब्रह्मा को दीन्हीं ब्रह्मण्डा कर्म-पट कीनने वाला जीव-जोलाहा जस जोलहा काहु मर्मन जाना रजोगुण से उठकर स्वरूपज्ञान में स्थित होओ बजह ते तृण खिन में होई # क = क ५ क # ४ # ® 9 क क # # क छ # ४ # क फे क ४ @ ७ @ 9 # कक कक # न क # # च # #@ # # न छ 898११. # # के # क # 1 क # के ७ # @ # # 4 # # $ क ० च # क ® # # 9 18585११. भै 9 न + च # # श # क के # $ # # १ # ৪৬৬৯৪ 89.१.११ कक $ ७ ४ ७ के से के के ७ के के के # कभी ॐ क कै # क न 9 *# # र के # ७ @ #@ क कक के के के के




User Reviews

  • Raj Kumar

    at 2020-05-15 09:08:55
    Rated : 10 out of 10 stars.
    "Sat Sahib Ji"
    Very Good
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