पश्चिमी बीकानेर के संत - महात्मा [प्रथम - खण्ड] | Pashchimi Bikaner Ke Sant-Mahatma [Pratham - Khand]
श्रेणी : ज्योतिष / Astrology
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
182
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about डॉ. राम लखन शुक्ल - Dr. Ram Lakhan Shukla
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)उपन्यास : परिमाषा भौर विशेषता ६
ष चेतना उन सब पर काम करती है, जिन्हे वह देचतो झौर प्रस्तुत करती है पौर
चह सथापं को पपने पनुरूप प्रस्तुत करती है । इसी कारए तॉलस्तॉय ने लेखकों को”
सलाह दी है कि वे विश्व के प्रति स्पष्ट भौर टठकी दृष्टि निर्मित करने का प्रयल करें ।
उपन्यास की रखना में उपस्पासकार के दृष्टिकोण का वहुत बड़ा मदस्व होता है ।
उसका दृष्टिकोण उसकी रचना की भन्विति, विशेधता भौरसगति को भत्यधिक प्रभावित
करता है । हेतरी जेम्स को मान्यता है कि उपन्यास का रूप (707८०) ही उसका तत्त्व
है, वयोकि रूप के विना तन्वं हो ही नहीं मरता ) सोलस्तोँय का मत है हि प्रत्येक कलाकार
अपने निजी रूप (ए०7म्य) का निर्माण कर्ता है । स्टीवेन्सन के प्रनुसार प्रत्येक नवोन
दिधय में सच्चा कलाकर भपनी पद्धति परिवर्तित कर दगा झौर विपय पर प्रकाश डालने
का हृष्टिकोश भी परिवातित कर देगा। ल्यूबक ऐसा मानते हैं कि कलाकार प्रपने
विपय, प्रणाली भौर विषय-निहूपण के कोण के प्राधार पर चार प्रकार की संरचना
में से कोई एक निर्मित कर सकता है । (१) किमी समान प्रपवा युगविरेष कौ प्रवृत्तियों
भौर स्पितियो की भालोचना करने टृए् उपन्यामक्रार भरन्तर्मादकारौ सर्वदर्शी लेषकं
जैमा प्रतीव होता है । बह जोवत के जिन वित्रों को झकित करता है उतमे हास्योड्रे चक
तत्त्व, ध्यग्प भौर व्याजोशिति भालोचतात्मक ब्यूद के साधन होते हैं। इस प्रकार
के लेखक का वाग्वैदश्ध्य प्रोर नव निर्माण-ध्षमदा उसकी कहती झौर उसकी सतही
वृत्तियों के स्पष्ट प्रत्यक्षोकरण में सहापक होती है, किम्तु उसकी रचना के रुप का
भभिश्राय सपा ब्यत्तिश्व प्रकाशन के प्रच्धन प्रवक्राश की उसको भन्तदृष्टि दव जाती
है। फील्डिग ध्लोर डिबेन्स के उपन््मासों की सरचता इस प्रकार की है। (२) दूसरे
प्रकार की संरचना का उपन्यायकार बैयक्तिक भावनाप्रो भौर सवेगों के विश्तेषक-रूप
में सवेदनशीन, बढ़िर्मुख्वो फलाकार होता है, जिसकी जोवन की ब्याश््या प्रधानतः
मानवीय प्रच्य संपर्प के प्रन्देषण में ग॑मोरतरम्यग्यमे भनुशासित दोती द पोरकमी-
कभी दुःशोट्रेचक भनुभूति रू * शित्र करती है। जेन भाहिदत धौर हेनरी जेम्ग
को संरचना ~ गोमरे प्रकार को सरचता का उपन्यागरार
উতর दर्णना-वैनो भोर बहमनी तेयक
सेवा है। जैन प्रॉग्टिन,
४) বাতি प्रकार की
अनुशामित्र नदों रखता,
श + জি -. 75 है, शिसे प्रतोडों भौर
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