हिन्दू राज शास्त्र | Hindu Rajya Shashtra
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
13 MB
कुल पष्ठ :
388
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)विषय-सूची ९
१४--नगरनिर्माण ३११
राजधानी, नगर, पुर, पत्तन, खेट आदि; दुगं वनानेकरे विपयमं
शुक्रनीतिसार; राजवानी कहां बनायी जाय १ वष्र और प्राक्रार;
अ्रद्मालक, प्रतोल्ी ओर इन्द्रकोश; देवपथ, प्रधावितिका और चार्या;
हुर्गके बाहरकी व्यवस्था; द्वार वा फाटक; शाला, सीमाणह और
उत्तमागार; तोरण और द्वारकी बनावट; गोपुर, कुमारीपुर और
मुण्डकद्वार; नगरके भीतरकी बनावट; अन्तःपुर और उसके पास
ग्रहादि; नगरक्री चारो दिशाश्रोंमें चार देवताओंकी स्थापना; राज-
भवन और मूलभुलैया; आग और सर्प आदिके विपसे रक्षाका
उपाय; रनिवास ओर राजाका वासणह; मंत्रसभारह, उपस्थान,
ओर अ्ध्यक्षोके कार्यावय; कोशणह, कोब्ठागार, कुप्पण्ह और
श्रायुधागार; दुगमें कौन सामग्री सदा रहे ? परदेशियोंकों सीमान्तमें
बसावे; वाग बगीचे; हिन्दू सम्यताके समयक्े नगर; पाठलिपुत्रका
ऐड्वर्य; उजथिनीका उत्कप; कान्यक्ुब्जकी ईश्वरता |
१५--नगरव्यवस्था ३२३
नागरिक श्रोर उसके अधिकार; गोप और स्थानिक; घर्मशालाश्रोंमें
कौन ठहराये जाय॑ं ! दण्डनीय कोन हैं! चार अपराधियोंको
खोजें; नगरवासियोंके कत्तंव्य; नगरकी स्वच्छुताके नियम; निश्चित
मार्गसे मुर्दा ले जाना; कौटिल्यका कफयू आर्डर; छद्मवेषवाले
पकड़े जाये; नैतिक अपराधोंके लिये दरड; नागरिक भी दस्ड्य है;
वंधुश्नोंकों छोड़नेकी व्यवस्था |
परिशिष्ट (त्र) ইন
भूमिक्की मापका मान; कालमान; तोल ओर मापका मान; रलादि
की तोलकरा मानः अ्रन्नादिकी तोलका परिमाण; तरत पदार्थोक्री
मापिका मान; नाणक वा सिक्के |
परिशिष्ट (आ ) ३३६
रत्न और उनकी परीक्षा
परिशिष्ट (६) २४१
सिंकन्दरके आक्रमणके समयके कई राजाओं ओर राज्योंका परिचय |
देशभक्तिके मंत्र
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