हिन्दू राज शास्त्र | Hindu Rajya Shashtra

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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विषय-सूची ९ १४--नगरनिर्माण ३११ राजधानी, नगर, पुर, पत्तन, खेट आदि; दुगं वनानेकरे विपयमं शुक्रनीतिसार; राजवानी कहां बनायी जाय १ वष्र और प्राक्रार; अ्रद्मालक, प्रतोल्ी ओर इन्द्रकोश; देवपथ, प्रधावितिका और चार्या; हुर्गके बाहरकी व्यवस्था; द्वार वा फाटक; शाला, सीमाणह और उत्तमागार; तोरण और द्वारकी बनावट; गोपुर, कुमारीपुर और मुण्डकद्वार; नगरके भीतरकी बनावट; अन्तःपुर और उसके पास ग्रहादि; नगरक्री चारो दिशाश्रोंमें चार देवताओंकी स्थापना; राज- भवन और मूलभुलैया; आग और सर्प आदिके विपसे रक्षाका उपाय; रनिवास ओर राजाका वासणह; मंत्रसभारह, उपस्थान, ओर अ्ध्यक्षोके कार्यावय; कोशणह, कोब्ठागार, कुप्पण्ह और श्रायुधागार; दुगमें कौन सामग्री सदा रहे ? परदेशियोंकों सीमान्तमें बसावे; वाग बगीचे; हिन्दू सम्यताके समयक्े नगर; पाठलिपुत्रका ऐड्वर्य; उजथिनीका उत्कप; कान्यक्ुब्जकी ईश्वरता | १५--नगरव्यवस्था ३२३ नागरिक श्रोर उसके अधिकार; गोप और स्थानिक; घर्मशालाश्रोंमें कौन ठहराये जाय॑ं ! दण्डनीय कोन हैं! चार अपराधियोंको खोजें; नगरवासियोंके कत्तंव्य; नगरकी स्वच्छुताके नियम; निश्चित मार्गसे मुर्दा ले जाना; कौटिल्यका कफयू आर्डर; छद्मवेषवाले पकड़े जाये; नैतिक अपराधोंके लिये दरड; नागरिक भी दस्ड्य है; वंधुश्नोंकों छोड़नेकी व्यवस्था | परिशिष्ट (त्र) ইন भूमिक्की मापका मान; कालमान; तोल ओर मापका मान; रलादि की तोलकरा मानः अ्रन्नादिकी तोलका परिमाण; तरत पदार्थोक्री मापिका मान; नाणक वा सिक्के | परिशिष्ट (आ ) ३३६ रत्न और उनकी परीक्षा परिशिष्ट (६) २४१ सिंकन्दरके आक्रमणके समयके कई राजाओं ओर राज्योंका परिचय | देशभक्तिके मंत्र




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