ललिता उपन्यास | Lalita Upanyas
श्रेणी : उपन्यास / Upnyas-Novel, साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
40.77 MB
कुल पष्ठ :
144
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about पं. चंद्रशेखर पाठक - Pt. Chandrashekhar Pathak
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)साघारण स्वास्थ्य, रूप, पेश्वय , बुद्धि--सभी उसे मिले थे,
परन्तु वह अपने को परम सोभाग्यशाठी ओर ईश्वर की सर्च
श्रेष्ठ छुपा का पात्र, इस लिये समकता था, कि इत माता के
गर्म से उसका जन्म हुआ था । वह इसे भी ईश्र का सच
श्रष्ठ दान समभता था | गज दे कद
मुबनेश्वरी ने कहा-'अच्छी है” कहकर तू तो चुप हो
राया ! कर
शेखर, मुस्कुराकर, सर कुकाये छुपे घोला-- “तुमने
जो पूछा था; चह बता दिया 1”
मांता भी बता दिया ? रंग कै ता है-खूब
गोरा ? किसके जैसा होगा ? लछ़िता के जैसा ?”
.. इस बार शेखर ने सर उठा कर तो कालो
है, उससे बहुत साफ रंग है ।”
“चेहरा मोहरा केसा है ?””
शेखर ने संकुचित होते हुए कहा--'बेजा नहीं है *
भुवनेश्वरी बोलीं--“'तो तुम्हारे पिता से कट ?” इस बार:
शेखर ने कोई उत्तर न दिया, वह चुप हो कर बैठ गया ।
कण भर चुप रहने बाद, एकाएक पुत्र के मुख की ओर
देख कर भुवनेश्वरी बोठ उठीं “अच्छा लड़की कुछ॒ लिखना
_.. घढ़ना भी जानती है था नहीं ।”
व ... शेखर ने कहा “यह तो पूछा नहीं ।” .... ०
_..... अत्यन्त चकित हो कर सुवनेशवरी बोलीं--“पूछा क्यों
अब
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