आधुनिक हिंदी साहित्य की सांस्कृतिक पृष्ठभूमि | Adhunik Hindi Sahitya Ki Sanskritik Prishtabhumi
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
15 MB
कुल पष्ठ :
731
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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हो उठती है । बुद्ध लोग ज्ञान-विज्ञान और शाततन प्रशासत के कषे मे जमी इसनी उप.
योगिता पर रसन चिन्ह लगाते हैं एवं कई वर्षों -यहां तक कि दो-तीन पीढियो-के बाद
इसे इम योग्य हो सर ता सम्भव मानते हैं कि भारत भर के लोग पढ, বাব, নম
ओर तिं सके
दुदेमनीयता एव दाक्ति का सोत
7... फिर भो, भारत की प्रगति के साथ हिन्दी भी विवमित होती चलती जा रदी
है। विशोघों लोग अपनी कमजोध्यों के कारण हारी हुई बाजी के सेलने का दुशग्रह
कर रहे हैं, काल देवता जो निणेय डिल्ल चुका है उसके दिस्द्ध हापन्याव मारने वा
व्यर्थ प्रणास कर रहे हैं। सेवकों मे अनेक धुटिया हैं। फिर भी, विवास निरन््तर
हो रहा है ओर उसकी गति অসিত ই) प्रश्न यह है कि ऐसा वषों है ? सोचना
पड़ता ই কি বই দখা ই जो इन्हे इस प्रकार दुर्दमनीय दनाये है, एवं दिसने दोनो को
एक सा ऊरध्वंमुझी एवं प्रगतिशील तथा उत्यानं कौ ओर तीव्र गति भे प्रोरिति बर् रशा
& । জিন বুঝ कमै गनि उस तवे सक नटी है उनके लिए रुचमुच यह विश्वास
कर लेना कटिन है कि भारत ने या हिन्दी मे सचमुच उन्नति वर लो है और विकसित
हो गई। उनके लिए यह आश्चर्य और अविश्वास का विषय है।
मेरे अध्ययन अर शोय का विषय इसी रहस्य के उद्घाटन से, इसी आइचर्य
को बोधगम्य बना देने से सम्बन्धित है । वास्तविकता तो यह है कि सम्पूर्ण भारत
कौ-भोर इसीलिए हिन्द कौ भी-जो यह् असाधारण হবি উ उन्नति हुई है उसका
मूल कारण भारत की अपनो सरक्षति है। भारतोय सस्बृति से हमे जो तत्व मिले हैं,
फन्दोंने ही हमारे झदर इतनी इक्ति भर दी है कि हम कठिन से कटित एवं भयावक
से भयावक तथा असाधारण रूप से प्रतिवुल प्ररिरिथतियों मे भी कभी निशेष नहीं
होने पाते । यह वह भागोरणी है जिसका मूल सोत १भो सूखता नहीं । इसी से हमे
जीवन मिलता रहा है और मिला है।
सरकृति নয়া ই?
বংসবি-হিতীন আন বু আল नहीं होता। आज के दिचारक +से ही
यह बहे कि आधृनिक वह है जो डाज के पहले को परम्एयओ और प्रभावों से मुक्त है
किन्तु प्रभावों और परस्पराओ से वृशंत ढप्रशाबिति $रित्तव को बत्पना हो मभेरे
लिये दुर्लभ रही है। युतो यह घोषणा हो दम्म अतीत होती है मा बी गोद
से लेकर जीदत के अन्तिय समय तक हम्गरों बेतना और हमारी बुद्धि हमारे झासपास
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