अल्प विकास की राजनीति | Alp Vikas Ki Rajniti

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Alp Vikas Ki Rajniti by जी. ए. हीगर - G. A. Heegar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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पर निर्भर करता हैं कि आधुनिकतावादी विशिष्ट वर्ग एक दूसरे के साथ कहां तक मिलना चाहते हूँ या मिल सकते हैँ और समाज के विभिन्न खंडों को एक दूसरे के साथ कितने संपर्क मे ला सकते है । उनकी ऐसा करने की क्षमता सीमित है क्योकि केंद्र में विभिष्ट वर्ग की राजनीतिक क्षमता बहुत कम है । साधन भी थोडे हं । आधिक दृढता भी उतनी नही है जिसके कारण संरक्षण भी सीमित है। दवाव डालकर मनाने के साधन काफी महंगे और अप्राप्य हैं। इसका ध्वरिणाम यह है कि संस्थाएं शुरू से ही कमजोर रहती है और इनका अस्तित्व केंद्र तथा बाह्य क्षेत्रो के विशिष्ट वर्गों के बीच सौदेबाजी के बड़े नाजुक संबंधों पर निर्भर करता है। आधुनिकतावादी विशिष्ट वर्ग अन्य विशिष्ट वर्गों और सामाजिक ग्रुपो के साथ गठबंधन करके अपने कार्य क्रमो के लिए (या सरकारी कार्यत्रमों के विरोध के लिए), और अपने लिए समर्थन जूटाने के प्रयत्न करता है। अल्पविकसित राज्यों में “सत्ता के लिए बनाए गए सवंधों का ढाचा विभाजनीय और खडयुवत है। साधारण स्थानीय दल, और जातीय समूहं प्रमुख महत्व के होते है ।**“हर नेता दूसरे नेता के साथ अपने और अपे अनुयायियो के लिए सौदेवाजी करता है 0. इस प्रक्रिया में गतिहीनता लगभग निहित है। जहां कही भी मिलेजुले संगठन नही रहे है या नही बन पाए हैँ वहां विशिष्ट वर्ग के अंदर ही परस्पर संघर्ष के कारण किसी एक व्यक्ति को सामाजिक परिवर्तन की समस्याओं से जूझने का मौका नही मिला । जहां मिलेजुले समठन बने हूँ वहा विशिष्ट वर्ग को उनके गठबंधन के कारण शामिल किया गया है और ये संगठन ऐसी नीतियों को लागू नही कर सके हू जो इन विशिष्ट वर्गों की स्थिति या संगठन में शामिल अन्य दलो की स्थिति को चुनौती देने वाली हों 1 कमजोर संस्थाएं और संयुक्त दलो की राजनीति, बहुधा, पूर्व स्थिति को ही प्रोत्साहन देती दै । सरकारे उतना काम नही करती जितना किं विगाडती ह । यहां एक और वात कहना जरूरी है। आधुनिकतावादी विशिष्ट वर्ग के बारे मे अब तक सामान्य रूप से ही विचार किया गया है। इस वर्ग के किसी एक भाग, राजनीतिक अफसरणाही, सैनिक या ऐसे ही अन्य पक्ष, पर विशेष रूप से बल नहीं दिया गया। अमरीकी विद्वानों की यह वृत्ति है कि वे किसी एक राजनीतिक प्रणाली के विभिन्न “अभिनेताओं ', राजनीतिक दल, अफसरशाही, विशेष हितों वाले दल, सेना, को पृथक संगठनात्मक सत्ता मानते हुं । यानी इन्दे विभिन्न विशिष्ट वर्गो के समूहे माना जाता है जो अलग अलग विधियों, नियमो और उद्देश्यों को संस्थात्मक बनाना चाहते हैं । नतीजा यह होता है कि अक्सर राजनीतिक घटनाओं को विभिन्न सस्थाओं और उनकी संगठनात्मक शवित के संदर्भ मे देखने का प्रयत्त किया जाता है। उदाहरण के लिए अफसरशाही या केंद्रीय सत्तावाद, इस प्रणाली का प्रमुख अंग वन जाता है क्योकि यह राजनीतिक सुव्यवस्था की खोज : 9




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