लेव टॉलस्टॉय पुनरूत्थान | Lev Tolstoy Punarutthan

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Lev Tolstoi Punarutthan by भीष्म साहनी - Bhisham Sahniलियो टालस्टाय - Leo Tolstoy

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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उसवे पास जा पहुचा, छाती पर सलीव वा निशान कनाया २२ एक कोक निवाल कर वँदो के हाथ में दिया। मासलोवा शम से लाल हो गई , सिर शुका लिया और झुछ बुदबुदा दो। राव ताग वदी की आर देख रहे थे। उसे इस बात से प्रमनता हुई कि लोग उससे झावपषित हा হু £। শিব ভা ঘিলা নই শী বলিয়া से हर देपने वाते को द तेती। जेल > बाद यहा हवा साफ थी। इससे भी उसका दिल खुश हुआ। परन्तु उसके पैर चलने वे श्रादी नही थे। जेल के रही जूता मे नुकीले पत्थरो पर पाव स्पते हुए उसे दद होता থা। जहा तक वन पडता वह्‌ रक स्क वर, हल्‍वे हल्के पाव रखती। अनाज कौ एक दुकान वै सामनं बु कवूतर गुटरग्‌ गृटरगू करते घूम फुदक रहे थे। कोई उनसे छड नही कर रहा थः। उनवे पास से गुजरते हए बंदी का पाव एक भूर-नीले रग वेः क्वतर वो द्ु गमा। कवूतर फर्से घडा গীত पर फडफ्डाता हुआ उसे कान के पास से निक्ल गया। बहू मुस्करायी, पर फिर अपनी स्थिति या ख्याल कर के उससे गहरी सास सी। २ कदी माम्लोवा की जीवन-क्हानी वडी साधारण सी है। उसकी मा एक जागीर म नौकरानी थी श्रीर उसी जागीर की गोशाला म ग्वालिन का काम करने वाली स्त्री वी बटी थी। शादी-ब्याह नहीं हुआ था। यह ज़मीदारी दो बुढिया बहिनों की मिलक्यित थी। इन बुढिया वहिनो ने भी उम्र भर शादी नहीं की थी। मास्लोवा वी मा वे हर साल एक बच्चा हो जाता था। भ्रौर जैसा कि गाव-गवई वे लोगोमे भ्रक्सर होता है, जव इस तरह का अ्रवाछित बच्चा पैदा होता तो मा उसका बपतिस्मा तो करवा देती, पर बाद में उसकी নাহ্‌ জুন न सेती। जिस औरत वी ग्रांद म॑ बच्चा हां वह काम क्या करेगी? नतीजा यह होता कि वच्चा घूरे पर पडा रहता। एक एक कर वे पाच वच्चे इसी तरह परलोकः सिधार चुके थे। पाचो का बपतिस्मा हुआ, पावों में से कसी को भी याना नहीं मिला, और पाचो ही घूरे पर मरने के लिए छोड दिये गये। छठे बच्चे १३




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