प्रेम में भगवान तथा अन्य कहानियाँ | Prem Men Bhagawan Tatha Anya Kahaniyan

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Prem Men Bhagawan Tatha Anya Kahaniyan by लियो टालस्टाय - Leo Tolstoy

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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मन-ही-मन हंस पडा । बोला, “मैं मी उमर सै बूषा हो गया हूँ, नही तो क्या ! देखो कि मै भी कैसा बहकने लगा हूँ ! आया स्टेपान है गली साफ करने, और मुझे सुझा कि मसीह प्रभु ही आ गये है है नबात कि मैं सठिया गया हूँ । लेकिन कुछ टाँके भरे होगे । खिड़की की राह वह फिर बाहर देख उठा । देखा कि फावडा जरा टेक कर दीवार का सहारा ले स्टेपान था सुस्ता रहा है; या फिर गरम होने के लिए साँस ले रहा है। स्टेपान की उमर काफी थी । कमर झुक चली थी और देह मे कस बहुत नहीं रहा था । बरफ हटाने के लायक भी दम नहीं था । वह हॉफ-सा रहा था । मार्टिन ने सोचा--“बुलाकर मै उसे चाय को पुछू” तो कैसे, चाय बनी हुई है ही नहीं ।' सो आरी वही जूते मे उडसी छोड, खडे होकर झटपट चाय की' संघ तैयारी कर डालने लगा । फिर खिड़की के पास आकर थपथपा- कर स्टेपान को इशारा किया । स्टेपान सुनकर खिड़की पर आया । मार्टिन ने उसे' अन्दर बुलाया और आगे बढकर दरवाजा खोल दिया । बोला--आओ; थोड़ा गरम हो लो। तुम्हे ठण्ड लग रही मालूम ट्वोती है ।' स्टेपान बोला--“मगवान तुम्हारा भला करे । हाँ, मेरी देह में सरदी बेठ गई है और जोड़ ददं करते हैं । यह कहकर स्ट्पान अन्दर आया और देह की बरफ द्वार के बाहर हीझाड़ दी । फिर यह सोचकर कि कही फदं पर निदान न पड़े, वह बाहर ही पैर पोछने लगा । इसमें देह उसकी सुदिकिल से सँभली रह सकी और गिरते-गिरते' बचा । मारठिन बौला -- “रहने दो, रहने भी दो । फशं झड़ जायेगा । चकफाई तो 'रोज होती ही है। कोई बात नहीं भाई, आ जाओ, बैठों, १६ | प्रेम मे भगबान




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