भारतीय राज्यों का इतिहास | Bhaartiya Raajyon Kaa Itihaas

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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सारतीय राज्यों का इतिदाल ाप घड़े हृष्ट-पुष्ठ और शिकार के शौकीन थे । आपको कुश्ती का बड़ा शौक था । आपकी शासन-पढुता से खुश दोकर अंग्रेज सरकार ने आपको इ० सन्‌ १८६९ में दृत्तक लेने की सनद प्रदान की थी । आपने १४ वर्ष तक बड़ी योग्यता के साथ अपने राज्य का शासन किया । इ० सन्‌ १८७० में आपकी सृत्यु हो गई । भापको कोई पुत्र न था किन्तु उस समय आपकी रानी जमनाबाई गर्भवती थीं । अतएव आपके कनिष्त श्राता महाराजा महहार- राव इस शत पर आपके उत्तराधिकारी बनाये गये कि यदि जमनाबाई के गर्भ से पुत्र उत्पन्न हुआ तो बही गद्दी का हकदार होगा । अन्ततः जमनाबाई के गम से एक कन्या उत्पन्न हुई जिसका नाम ताराबाई रखा गया। इससे महाराजा मटदारराव इस राज्य की गद्दी के उत्तराधिकारी घोषित किये गये । महाराजा महहारराव बड़ी नादान प्रकृति के नरेश थे । कहा जाता है कि इ० सन्‌ १८5३ में इन्होंने अपने श्राता महाराजा खण्डेराव पर भी विष-प्रयोग करने का प्रयन्न किया था । इसी भारोप के कारण आप कुछ दिनों तक नजरकेद भी रहे थे । शासन की बागडोर हाथों में आते ही इन्होंने मनमाने काय्य दुरू कर दिये । इतना ही नहीं इन्होंने अपने राज्य के लोगों की बहू-बेटियों पर भी कुद्दष्टि डालना शुरू कर दिया । इनके केवल पाँच ही वष के शासन से प्रजा में बेचैनी पोल गई । इनके कुशासन से वह बहुत घबरा उठी । उसने इनके लिलाफू से कड़ों ऑजियाँ भारत-सरकार के पास भेजना शुरू कर दी । अन्त में सारत-सरकार की ओर से एक कमीशन ट्ारा इनके कायों की जाँच की गई और रन्हें १८ सास में झपना शासन सुधारने का अवसर दिया गया । इस चेताब्ननी का महाराजा पर कुछ भी असर न हुआ।। इसी समय इन्होंने लक्ष्मीबाई नामक एक ख्री के साथ अपना विवाह संबंध स्थापित कर लिया । विवाह के ५ ही मास पश्चात्‌ इस स्त्री के गर्भ से एक पुत्र उत्पन्न हुआ । जिसके लिये महाराजा ने शानदार उत्सव सनाया । यहाँ यदद कह देमा उचित मालूम होता है कि इनमें और बड़ौदा के तत्कालीन रेसिडेंट में आफ्स में न बनती थी । इन्होंने कुछ ही दिन पहले उनके खिलाफ एक क्रीता ७




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