सेतुबन्ध | Setubandh
श्रेणी : हिंदू - Hinduism
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
300
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)भूमिका 5१
एकादश आश्वासन * रात्रि बीत गई, पर रावण की काम-वासना
शान्त नहीं ह६। वह काम-व्यथा से पीड़ित है (१-२१) | रावण के मन
मे वानर सेना तथा सीता के विपय में तक वितक चल रहा है ओर वह
अन्त में निर्णय करता है कि सीता गम के कटे हुए. सिर को देख कर
ही वश में हो सऊती है । वह सेवकों फो बुला फर आदेश देता हे और
वे मायाणीश को लेकर सीता के पास पहुँचते है (२२-३६)। सीता विरहा-
वस्या में व्याकुल हैं (४०-५०)। उसी समय राक्षुस राम का मायाशीश
सीता को दिखाते हैं। इस दृश्य का प्रमाव सीता पर अत्यन्त करण पढ़ता
है (७१-६०) । सीता होश में आऊर शीश को देखती है (६१-६४) । सीता
भूमि पर गिर पड़ती है और शीश को देखने के लिए. पुन उठती हैं (६५-
७४) । सीता मूर्छ से जाग कर विलाप करती हैँ (७५-८६) | त्रिजटा
सीता को आश्वासन देती है (८७ ६६) । सीता विश्वास नहीं करतीं और
विलाप करते लगती है । वे विलाप करते-कसते मूर्च्छित हो जाती है । मूर्च्छा
से जागने के वाद सीता मरने का निश्चय करती हं । पर चरिजया पुन
आश्वासन देती है (१००-१३२)। सीता वानरों के प्रात कालीन कल-
कल नाद को सुन कर ही विश्वास कर पाती हैँ कि यद् राक्षसी माया रै
(१३३-१२७) ।
दादश श्राश्वास ` उसी समय प्रभात काल आ गया (१-११)।
प्रात'काल सभोग सुख त्यागने में राक्षस कामिनियों को क्लेश हो रहा है
(११-२१) । राम प्रात'काल उठते हैं और युद्ध के लिए प्रस्थान करते हैं
(२२-३१) | राम के साथ वानर सेना भी चल पड़ी (३२-३४) । सुग्रीव
राम के उपकार से मुक्त होने के लिए. चिन्तित द्वोते हैं और विभीपण को
राक्षस वश की चिन्ता है (३५) । राम वनुप <कारते है और सीता सुनती
हैं (१६-२७) | वानर कल-कल ध्वनि करते हैं (३८-४०) | इसको सुनकर
रावण जागता है ओर अ्रँगड़ाई लेता हुआ उठता है (४१-४४) । रावण
का युद्धवायय वजना प्रारम्भ होता दै (८५) । युद को देखने की श्राकोँत्ता
से देवागनाएँ विमानों में उत्सुक हो रही हैं (६७)। राक्षुस जाग पड़ते हैं
User Reviews
No Reviews | Add Yours...