जैनदर्शन | Jaindarshan

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Jaindarshan by महेन्द्रकुमार जैन - Mahendrakumar Jain

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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. (१५४ ) . इृष्टिसे अन्य दर्शनोंका तुलनात्मक अध्ययन भी उनका एक महान वैशिष्ट्य है । अनेक प्राचीन दुरूह दार्शनिक अन्थोका उन्होंने बड़ी योग्यतासे सम्पादन किया है। ऐसे अधिकारी विद्वान्‌ द्वारा प्रस्तुत यह 'जेनद्शेन? वास्तवसे राष्ट्रभाषा हिन्दीके लिये एक बहुमूल्य देन है। हम हृदयसे इस अन्थका अभिनन्दन करते हैं । 4 -मंड्रलदेव शात्री शत एम०, ए०, डी० फिल ( श्चोक्सन ), ०।१०।५१्‌ पूरव प्रिसिपल गवनेमेट संस्कृत कालेज बनारस




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