अमर जीवन की ओर | Amar Jivan Ki Aur

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Amar Jivan Ki Aur by जवाहिरलाल जैन - Jawahirlal Jain

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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শপ ~~~” ~~~ ~---~-----~-------~ अदृश्य शक्ति इसके अनन्त कालके आज्ञाकारी सेवक हैं; वे कभी इसके सक्तके बिना नहीं चल सकते | केवल मनुष्यको ही अपने जीवनमें इसका प्रथ-प्रदर्शन करनेका अधिकार और स्वतत्रता दी गई है । मनुष्य इससे प्रथक्‌ नदी हों सकता | ईश्वरफा अश होनेके कारण वह इस शक्तिपर शासन करने और अपनी आजश्वानुसार चलानेका अधिकारी है और इसप्रकार वह अपने जीवनकों आनन्दमय, सफल, सम्पन्न और सौभाग्यशाली बना सकता है। यही तो प्रत्येक मनुष्यके जीवनकी कामना है ! स्थूल प्रकृति इतनी सुन्दर और सम्पन्न क्‍यों है ” इसका एकमात्र कारण यही है कि स्थूल प्रकृति इस अहृश्य शक्तिकी आशा बिना किसी हिचकिचाहटके पालन करती है। 'प्रकृतिके साम्राज्यमे कहीं कमी नहीं है। भगवान उदारतापूर्वक प्रत्येक जीवधारीकी आराव श्यकताकी पूर्ति करता है |? कुमुदनीके पुष्यको देखिये क्‍या आपने कभी रसाल इृक्षके कोमल किसलयोंकों गिननेका प्रयत्न किया है ? क्या श्रापने कभी धासको व्यानपूवंक देखा है ? क्‍या यह आपकी सामथ्य में नहीं है ? छोटीसे छोटी वस्तुको ले लीजिये, और उसके सौन्दयं एवं श्रेष्ठठापर विचार करिये | मौर-चन्द्रिकाकों ध्यानसे देखिये, रगों का कितना सुन्दर चुनाव एवं मिश्रण है। नीलकठ आपने देखा होगा उसके रगमे क्या विशेषता है ? सुरगेके पख कितने विभिन्‍न और चटकीले रगोंसे बनें हैं! किसी तितलीके डेनॉको खुदवीनसे देखिये। आप आश्रय करेंगे कि उस अदृश्य शक्तिने ই




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