घोर अंधकार के बाद जीवन में नया प्रकाश | Ghor Andhkar Ke Baad Jivan Mai Naya Prakash
श्रेणी : कहानियाँ / Stories
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10 MB
कुल पष्ठ :
322
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)वे गिरे! गिरकर उठे, उठकर चले ! १७
शन्रुके सिपाही उधर आये, किंतु खोहपर मकड़ीका बुना हुआ
` जाला देख वापस छोट गये । जब जाला है, तो अंदर कोई केसे हो
'सकता है ?
आयी हुई मौत तो वापस छौट गयी, पर ब्रूसको एक गहरे
विचारमें निमग्न छोड़ गयी !
` बह अब सोच रहा था, “जब यह मकड़ी वार-बार गिर-गिरकर
भी निराश ओर परास्त नहीं हुई, तो मैं तो मजबूत हाथ-पाँववाल
आदमी हूँ | मै तो बहुत कुछ कर सकता हूँ । मैंने कैसी गलती की
कि तीिक-सी हारसे निराश हो गया ओर प्रयत्न करना छोड किस्मतको
दोष ইন জা | ভু कायरता आ गयी । उसने मेरी अची ताकरतो-
को शिथिल कर् दिया । लेकिन यह मकड़ी सुञ्चे नयी प्रेरणा दे गयी
है | अब मै फिर पूरी ताकतसे प्रयत्न करूंगा | मैं अवश्य जीतूँगा |
मै अपने शत्रुओंको जरूर परास्त करूगा; क्योंकि इत मकड़ीने मेरा
संकल्प मजबूत कर दिया है |! वह खोहसे निकल आया। अव वह
बिल्कुल बदला हुआ नया आदमी था।
वह चुपचाप छौट गया। अपने बिछुड़े हुए साथियोंको संगठ्ति
-किया जर अन्तमं विजयी हआ । ।
ब्रूसके जीवनका निष्कर्ष निम्न पंक्तियोसे स्पष्ट होता है -
क्षनुष्यका विकास कठिनाइयोंसे सदा लड़ते रहनेसे होता
है। जो व्यक्ति कठिनाइयोंसे जितना दूर मागता है, वह अपने-
आपको उतना ही निकम्मा वना लेता है और जो उन्हें जितना ही
आमन्त्रित करता है, वह अपने-आपको उतना ही वीर और साहसी
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